समाज में बढ़ी रही असहिष्णुता के विरोध में पुरस्कार लौटाने वालों में अब वैज्ञानिक भी शामिल हो गए हैं. जाने-माने वैज्ञानिक पुष्प मित्र भार्गव ने कहा है कि वह अपना पद्म भूषण पुरस्कार लौटा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि NDA सरकार भारत के लोकतंत्र को धार्मिक तानाशाही में बदलने का प्रयास कर रही है.
इस तरह पीएम भार्गव भी असहिष्णुता का पुरजोर विरोध करने वालों में शामिल हो गए. हैदराबाद में कौशिकीय व आण्विक जीव विज्ञान केंद्र (सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मोलिक्यूलर बायोलॉजी) की स्थापना करने वाले भार्गव ने कहा कि 1986 में मिले अपने पुरस्कार को वह लौटाएंगे, क्योंकि उन्हें महसूस हो रहा है कि देश में डर का माहौल है. साथ ही यह तर्कवाद, तार्किकता और वैज्ञानिक सोच के खिलाफ है.
पाकिस्तान से की भारत की तुलना
भार्गव ने कहा, 'मैंने पुरस्कार को लौटाने का निर्णय किया है. इसका कारण यह है कि वर्तमान सरकार लोकतंत्र के रास्ते से दूर जा रही है और देश को पाकिस्तान की तरह हिंदू धार्मिक निरंकुश तंत्र में बदलने की ओर अग्रसर है. यह स्वीकार्य नहीं है. मैं इसे अस्वीकार्य मानता हूं.'
भार्गव ने आरोप लगाया कि कई पदों पर उन लोगों की नियुक्ति की गई, जिनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कोई न कोई संबंध था. उन्होंने मोदी सरकार पर वादे पूरे नहीं करने का भी आरोप लगाया और कहा, 'एक वैज्ञानिक के तौर पर मैं सिर्फ पुरस्कार ही लौटा सकता हूं.'