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नोटबंदी से फीका पड़ा दिल्ली का होलसेल कारोबार, व्यापार में 60 से 70 फीसदी तक कमी

जिस सदर बाजार में पैर रखने की जगह नहीं मिलती थी आज यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. दुकानों में ग्राहक नही है. और इन सबके पीछे की वजह है नोटबंदी से कैश की कमी, ना तो उद्योगों से माल आ रहा है ना सप्लाई हो पा रही है, व्यापारियों का कहना है ऐसी कमी कभी नहीं देखी.

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नोटबंदी का थोक बाजार पर असर
नोटबंदी का थोक बाजार पर असर

जिस सदर बाजार में पैर रखने की जगह नहीं मिलती थी आज यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. दुकानों में ग्राहक नही है. और इन सबके पीछे की वजह है नोटबंदी से कैश की कमी, ना तो उद्योगों से माल आ रहा है ना सप्लाई हो पा रही है, व्यापारियों का कहना है ऐसी कमी कभी नहीं देखी.

किचन के होलसेल आइटम की दुकान करने वाले व्यापारी वीरेंद्र गुप्ता बताते हैं कि 'इतना सन्नाटा इससे पहले कभी नहीं देखा गया. सारे पुराने नोट बैंक में जमा हो चुके हैं और नए नोट यहां आए नहीं हैं. ऐसे में लोगों के पास पैसे ही नहीं हैं खरीददारी कहां से होगी.'

ऐसे में जब हर तरफ कैशलेस का बोलबाला हो रहा है तब नए माध्यमों या कैशलेस से व्यापार करने को पूछा गया तो व्यापारियों का कहना है कि क्योंकि पिछले 70 साल से यहां पर पूरा काम कैश के जरिए ही चलता रहा है ऐसे में अचानक से कैशलेस हो जाना मुमकिन नहीं है. अधिकतर व्यापारियों को ई-वॉलेट और मजदूरों को कैशलेस के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है.

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सदर बाजार में अपना प्रिंटिंग का काम करने वाले एक व्यापारी का कहना है कि उनका 85 फीसदी तक व्यापार कम हो गया है. व्यापारी का कहना है कि उसे यहां से आर्डर तो मिल रहे हैं लेकिन पेमेंट नहीं हो पा रही है. सिर्फ यही नहीं सदर बाजार के लगभग सारे एटीएम भी खाली पड़े दिखाई दिए. यहां मुख्य सड़क पर लगभग एक दर्जन एटीएम हैं लेकिन दो को छोड़कर सभी खाली दिखाई दिए किसी में भी कैश उपलब्ध नहीं था.

वहीं सदर बाजार कन्फेडरेशन एसोसिएशन के महासचिव देवराज बावेजा का कहना है कि दिल्ली सरकार को शुरू में व्यापारियों को कुछ राहत देनी चाहिए. व्यापारी संगठन का कहना है कि मुख्य धारा में लाने के लिए जीएसटी आने तक 4 महीने की छूट देनी चाहिए या वैट को आधा कर देना चाहिए. वर्तमान में दिल्ली मे़ 12.5% और 5% वैट लगता है जिसे कुछ महीनों के लिए आधा करने की मांग उठ रही है. जीएसटी 1 अप्रैल से आना है, तब तक लोग कर में छूट की मांग कर रहे हैं.

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