देश के परमाणु नियामक ने पश्चिमी दिल्ली के मायापुरी में सब कुछ ठीक होने का संकेत दिया है जहां पिछले दस दिनों में रेडियोधर्मी कोबाल्ट-60 के 11 स्रोत पाये गये थे.
परमाणु उर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) ने कहा, ‘सर्वेक्षण किये गये सभी क्षेत्रों में बढ़ा हुआ विकिरण स्तर नहीं पाये जाने के कारण इस बात को लेकर खासा भरोसा है कि अब कोई अतिरिक्त उच्च विकिरण अनावृत्त स्रोत नहीं हैं.’ बहरहाल, एईआरबी ने कहा कि यदि क्षेत्र में अभी तक कोई ऐसा स्रोत हो जिसके बारे में पता नहीं है तो उसका पता लगाने के लिए अगले कुछ दिनों में मायापुरी के कबाड़ बजार की प्रत्येक दुकान में पूरा सर्वेक्षण करने का निर्णय किया गया है.
सात अप्रैल को विकिरण की पहली घटना के प्रकाश में आने के बाद परमाणु उर्जा विभाग, एईआरबी और भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के विशेषज्ञों ने बाजार की छानबीन शुरू कर दी थी.
कबाड़ बजार में विकिरण के 11 स्रोत मिलने के बाद मायापुरी में अफरातफरी मच गयी थी. विकिरण के कारण तीन कबाड़ कारोबारियों सहित आठ लोग घायल हो गये.
मायापुरी से बरामद किये गये रेडियोधर्मी स्रोत कोबाल्ट 60 पिन हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि ये पिन घरेलू स्तर पर नहीं बनते. एईआरबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मायापुरी से बरामद किये गये रेडियोधर्मी पदार्थों की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नरोरा परमाणु बिजली केन्द्र में जांच चल रही है.
पिछले मंगलवार से पड़ोस के इलाकों की कबाड़ दुकानों पर भी विस्तृत विकिरण सर्वेक्षण शुरू कर दिया गया.
कोबाल्ट 60 दरअसल कोबाल्ट का रेडियोधर्मी आइसोटोप होता है. इसका इस्तेमाल कैंसर उपचार मशीन और अन्य चिकित्सा उपकरणों में किया जाता है.
प्राचीन समय से आभूषण और पेंट में कोबाल्ट आधारित रंगों का इस्तेमाल किया जाता है तथा खनिक कई खनिजों में कोबोल्ड नामक अयस्क का इस्तेमाल करते हैं.