हाईकोर्ट ने एमसीडी चुनाव में VVPAT को लेकर आम आदमी पार्टी की ओर से दाखिल की गई याचिका को खारिज़ कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि एक दिन के बाद चुनाव है और इतने कम समय मे 13 हज़ार मशीनों को बदलना संभव नहीं है. लिहाजा चुनाव M-1 ईवीएम मशीनों से ही कराए जाएं. बृहस्पतिवार को AAP ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर VVPAT से एमसीडी चुनाव कराने की मांग की थी.
दिल्ली चुनाव आयोग ने VVPAT मशीन को लेकर हाईकोर्ट में साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट ने VVPAT को चुनावों में इस्तेमाल करने के लिए कहा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह कहीं नहीं कहा है कि जनरेशन वन M-1 मशीन के इस्तेमाल पर रोक है. M-1 non hackable मशीन है. इस मशीन में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. इसका परीक्षण किया जा सकता है.
मशीन की विश्वनीयता पर सवाल कैसे उठाए जा सकता हैं, जबकि मशीन पर छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली आम आदमी पार्टी के पास इस बाबत एक भी सबूत नही है. M-1 मशीनों से चुनाव कराना भी उतना ही सुरक्षित है, जितना VVPAT से कराना है. VVPAT में प्रिंटर होता है और इसका इस्तेमाल करना ख़र्चीला होता है. लिहाजा इसके लिए ज्यादा फंड की ज़रूरत है. अभी हाल ही में राजौरी गार्डेन में उप चुनाव कराया गया, उसमें VVPAT का इस्तेमाल किया गया.
इस उप चुनाव में आम आदमी पार्टी की ज़मानत भी ज़ब्त हो गई. ऐसे में AAP के आरोपों की सच्चाई का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. इस वक़्त VVPAT का इस्तेमाल संभव ही नही है, क्योंकि चुनाव प्रक्रिया के लिएनोटिफिकेशन लागू हो चुका है. अगर इसमें कोई बदलाव किए जाते हैं, तो चुनाव मे विलंब होगा. VVPAT व्यवस्था के तहत वोट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है. इस पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उनका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है.