scorecardresearch
 

एस्ट्रोसैट के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू

भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और उपलब्धि की ओर कदम बढ़ा चुका है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एस्ट्रोसैट उपग्रह को लेकर जाने वाले पीएसएलवी-सी30 के 28 सितंबर को होने वाले प्रक्षेपण के लिए शनिवार को 50 घंटे तक जारी रहने वाली उल्टी गिनती शुरू कर दी.

Advertisement
X
देश का पहला बहु-तरंगदैध्र्य वाला अंतरिक्ष निगरानी उपग्रह ‘एस्ट्रोसैट'
देश का पहला बहु-तरंगदैध्र्य वाला अंतरिक्ष निगरानी उपग्रह ‘एस्ट्रोसैट'

भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और उपलब्धि की ओर कदम बढ़ा चुका है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एस्ट्रोसैट उपग्रह को लेकर जाने वाले पीएसएलवी-सी30 के 28 सितंबर को होने वाले प्रक्षेपण के लिए शनिवार को 50 घंटे तक जारी रहने वाली उल्टी गिनती शुरू कर दी. पहले समर्पित भारतीय खगोलीय मिशन के तहत एस्ट्रोसैट उपग्रह का प्रक्षेपण किया जा रहा है जिसका मकसद आकाशीय वस्तुओं का अध्ययन करना है.

रॉकेट के साथ छोड़े जाने वाले उपग्रहों में देश का पहला बहु-तरंगदैध्र्य वाला अंतरिक्ष निगरानी उपग्रह ‘एस्ट्रोसैट‘ भी शामिल है, जो ब्रह्मांड के बारे में अहम जानकारियां प्रदान करेगा. सोमवार को छह विदेशी उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में 50 वर्ष पूरा कर लेगा. भारत अब तक शुल्क लेकर 45 विदेशी उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर चुका है.

इसरो ने कहा कि पीएसएलवी-सी30..एस्ट्रोसैट मिशन की उल्टी गिनती सुबह आठ बजे शुरू हुई. छह सह-यात्रियों, इंडोनेशिया और कनाडा के एक-एक उपग्रह और अमेरिका के चार नैनो उपग्रहों के साथ एस्ट्रोसैट को लेकर जाने वाले पीएसएलवी-सी30 का प्रक्षेपण 28 सितंबर को सुबह 10 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस पोर्ट से होगा .

प्रक्षेपण पर टिप्पणी करते हुए इसरो के अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने हाल ही में कहा था, ‘भारत के लिए इसका मतलब यह है कि यह भारत के ऐसे पहले वैज्ञानिक मिशनों में से एक है जो एक पर्यवेक्षण अवसर के रूप में भारतीय शोधकर्ता समुदाय को उपलब्ध होगा. यह ऐसी चीजों के लिए एक शुरूआती बिंदु है.’ एस्ट्रोसैट भारत का पहला समर्पित बहु-तरंगदैघ्र्य अंतरिक्ष प्रयोगशाला है.यह वैज्ञानिक उपग्रह मिशन अपने ब्रह्मांड की ज्यादा विस्तृत समझ विकसित करने का एक प्रयास है.

इसरो ने कहा कि एस्ट्रोसैट मिशन की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह एक ही उपग्रह से विभिन्न खगोलीय वस्तुओं का एक साथ बहु-तरंगदैघ्र्य पर्यवेक्षण करने की सुविधा प्रदान कर सकता है.

इसरो ने 2010 में एक साथ 10 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था, जिसमें भारत के दो काटरेसैट-2ए उपग्रह भी शामिल थे. सोमवार को भारत तीसरी बार एक साथ सात उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगा. सात उपग्रहों को ले जाने वाला यह चार स्तरीय पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट 44.4 मीटर लंबा और 320 टन वजनी है. यह रॉकेट अपने साथ 1,513 किलोग्राम वजनी भारतीय एस्ट्रोसैट उपग्रह के अलावा अमेरिका के चार और इंडोनेशिया तथा कनाडा के एक-एक उपग्रहों को ले जाएगा. रॉकेट के साथ लांच किए जाने वाले सातों उपग्रहों का कुल वजन 1,631 किलोग्राम है.

Advertisement
Advertisement