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भारत ने किया पीएसएलवी सी-18 का सफल प्रक्षेपण

प्रक्षेपण के इतिहास में एक नया कीर्तिमान रचते हुए भारत के सफलतम पीएसएलवी-सी 18 राकेट ने सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से एक शानदार उड़ान भरते हुए भारत-फ्रांसीसी उपग्रह मेघा-ट्रोपिक्स को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया.

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प्रक्षेपण के इतिहास में एक नया कीर्तिमान रचते हुए भारत के सफलतम पीएसएलवी-सी 18 राकेट ने सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से एक शानदार उड़ान भरते हुए भारत-फ्रांसीसी उपग्रह मेघा-ट्रोपिक्स को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया जिसके साथ वैश्विक उष्णकटिबंधीय मौसम को समझने में मदद के लिए एक अहम अभियान को पूरा कर लिया गया है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के जांचे परखे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (पीएसएलवी) ने तीन नैनो उपग्रहों- वेसलसैट-1 (लक्जमबर्ग), एसआरएमसैट (एसआरएम विश्वविद्यालय, चेन्नई) और जुगनू (आईआईटी, कानपुर) को भी कक्षा में स्थापित किया है.

इसरो के प्रमुख के राधाकृष्णन ने कहा कि चार उपग्रहों को सुबह 11 बजे पीएसएलवी की रवानगी के बाद 26 मिनट की अवधि में एक के बाद एक कक्षा में स्थापित कर दिया गया. राधाकृष्णन ने इसे एक बड़ी सफलता करार दिया है.

उन्होंने प्रक्षेपण के बाद वैज्ञानिकों से कहा, ‘पीएसएलवी-सी18 ने एक बड़ी सफलता अर्जित की. एकदम सटीक तरीके से चार उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया गया और पृथ्वी से 867 किलोमीटर की दूरी पर हमने जो करने की योजना बनायी थी और जो काम संपन्न हुआ, उसमें सिर्फ दो किलोमीटर का अंतर आया है.’

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पीएसएलवी राकेट ने सबसे पहले 1000 किलोग्राम वजनी मेघा-ट्रोपिक्स उपग्रह को विषुवत रेखा से 20 डिग्री के झुकाव के साथ 867 किलोमीटर की दूरी पर कक्षा में स्थापित किया. मेघा-ट्रापिक्स में तीन पेलोड हैं. इनमें फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस (सेंटर नेशनल डि’इतुदेस स्पाशिएलेस) के दो और इसरो तथा सीएनईएस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक पेलोड शामिल है. इसके अलावा एक पूरक वैज्ञानिक उपकरण है.

इसरो ने इस उपग्रह के निर्माण पर 80 करोड़ रुपये का खर्च कर सीएनईएस के साथ मिलकर इस उपग्रह का निर्माण किया है. इस उपग्रह के निर्माण पर सीएनईएस ने भी समान राशि का खर्च किया है.

मेघा-ट्रापिक्स (संस्कृत में मेघा का अर्थ बादल होता है जबकि उष्णकटिबंधीय के लिए ट्रोपिक्स फ्रांसीसी भाषा का शब्द है) जलवायु पारिस्थितिकी में उष्णकटिबंधीय वातावरण में जल चक्र में योगदान की जांच करेगा. मेघा-ट्रापिक्स से मिलने वाली सूचनाओं से न केवल भारत को लाभ पहुंचेगा बल्कि हिन्द महासागर और विश्व के अन्य हिस्सों को भी फायदा मिलेगा.

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