ब्लॉकबस्टर फिल्म 'शोले' में गब्बर ठाकुर से कहता है, 'दुनिया में ऐसी कोई जेल नहीं बनी जिसकी दीवारें गब्बर को रोक सकें.' खैर यह तो फिल्मी डायलॉग था, लेकिन वाकई में एक ऐसा शख्स है जिसे किसी जेल की दीवार कैद नहीं रख सकती.
जी हां, आठ महिलाओं के खून का आरोपी जयनंदन बार-बार जेल से भाग जाता है. मजेदार बात यह है कि हर बार उसके भागने का तरीका बेहद अनूठा होता है. जयनंदन सोमवार को एक बार फिर जेल से भाग गया और तिरुअनंतपुरम की पुलिस ने उसे ढूंढने के लिए रात-दिन एक कर दिया है.
जयनदंन एक अन्य कैदी उप्पा प्रकाश के साथ जेल तोड़कर भाग गया. पुलिस को धोखा देने के लिए उसने जेल के सेल के अंदर एक डमी छोड़ दी ताकि लगे कि वह सो रहा है. पुलिस का कहना है कि वह लोहे के कटर से सेल का ताला तोड़कर भागने में सफल रहा. जयनंदन पर आठ महिलाओं की हत्या का आरोप है, लेकिन उसे दो मामलों में ही सजा दी गई है.
इस बार भी जयनंदन ने जेल से भागने का अनूठा तरीका ढूंढ निकाला. उसने इसकी तैयारी बहुत पहले ही शुरू कर दी थी. वह जेल परिसर में मौजूद बांस की लकड़ियां और कपड़े इकट्ठा करता रहता था. फिर उसने इन चीजों से रस्सी बनाई ताकि वह कम्पाउंड की दीवार चढ़कर फरार हो सके. वह अपने प्लान के मुताबिक ही जेल से भागने में कामयाब रहा.
जयनंदन इससे पहले भी जेल से भाग चुका है. साल 2010 में जब वह कन्नूर जेल में बंद था तब उसने वहां से बाहर निकलने के लिए खूब डायटिंग की. वह कई दिनों तक भूखा रहा और फिर इतना पतला हो गया कि वह बिना ताला तोड़े ही जेल की सलाखों से बाहर निकल गया. इसके बाद वह जेल की दीवार लांघकर फरार हो गया.
बाद में उसे तमिलनाडु से गिरफ्तार किया गया, जहां वो अपनी पत्नी के साथ रह रहा था. इससे पहले साल 2007 में भी जयनंदन ने जेल में सुरंग बनाकर भागने की कोशिश की थी, लेकिन तब वो नाकाम रहा था.