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सीढ़ियों से गिर पड़ा फोटो पत्रकार, दौड़कर राहुल गांधी ने उठाया

भुवनेश्वर एयरपोर्ट पर राहुल गांधी की तस्वीर क्लिक कर रहे फोटो पत्रकार सीढ़ियों से लुढ़क गए, तो कांग्रेस अध्यक्ष ने दौड़कर उनको उठाया. राहुल गांधी ने उस फोटो पत्रकार का हालचाल भी पूछा.

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Congress President Rahul Gandhi (Courtesy- Twitter)
Congress President Rahul Gandhi (Courtesy- Twitter)

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दो दिवसीय दौरे पर ओडिशा पहुंचे हुए हैं. शुक्रवार को जब वो ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित एयरपोर्ट पहुंचे और बाहर आ रहे थे, तभी उनकी तस्वीर क्लिक करने के लिए कई फोटो पत्रकार भी पहुंच गए. जब एक फोटो पत्रकार राहुल गांधी की तस्वीर ले रहे थे, तभी वो सीड़ियों से पीछे लुढ़क गए. यह देख जेड प्लस सुरक्षा से घिरे राहुल गांधी फौरन मुड़े और फोटो पत्रकार को उठाने के लिए दौड़ पड़े.

कांग्रेस अध्यक्ष सीढ़ियों से उतरकर फोटो पत्रकार के पास पहुंचे और हाथ पकड़कर उनको उठाया. साथ ही उनका हालचाल पूछा. इस दौरान राहुल गांधी के साथ सुरक्षाकर्मी और कई नेता भी मौजूद थे. यह घटना देखकर आसपास खड़े लोग भी राहुल गांधी और फोटो पत्रकार के पास पहुंच गए. इस घटना का वीडियो खूब वायरल हो रहा है. आपको बता दें कि शुक्रवार को राहुल गांधी 'ओडिशा डायलॉग' कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए भुवनेश्वर पहुंचे.

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देखिए घटना का वीडियो

ओडिशा डायलॉग कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, 'ओडिशा एक विकेंद्रीकृत समाज है. ऐसी सोच कि एक व्यक्ति करोड़ों लोगों के सवालों का जवाब दे सकता है, इस पर मैं मूल रूप से विश्वास नहीं करता. अगर भारत को उन्नति करना है, तो ओडिशा के लोगों की आवाज को भी इसमें शामिल करना होगा. मैं ये नहीं कह रहा हूं कि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में निजी क्षेत्र की कोई भूमिका नहीं है, लेकिन मानक सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा तय होने चाहिए.'

इस बीच राहुल गांधी ने कहा, 'आईआईटी जैसे सार्वजनिक संस्थानों को 21वीं सदी के संस्थानों में बदलने की जरूरत है. यही काम स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी करना होगा. रोजगार की सबसे बड़ी चुनौती ये है कि भारत ने उत्पादन बंद कर दिया है. उत्पादन पर आज पूरी तरह से चीन का कब्ज़ा है. भारत एकमात्र ऐसा देश है, जो इस चुनौती का जवाब दे सकता है. हम कृषि संकट से कैसे निपटते हैं और नौकरी संकट से कैसे निपटते हैं, ये सबसे बड़ी चुनौती है. कांग्रेस का शासन अलग तरह का है। हम लोकतांत्रिक देश चाहते हैं। हम सभी वर्गों को एक साथ जोड़ते हैं और आपसी बातचीत को बढ़ावा देते हैं.'

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उन्होंने कहा, 'भारतीय श्रम बाजार को आकार देने और श्रम मजदूरी को बेहतर बनाने के लिए मनरेगा सफल प्रयास था. इसने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया. वही अर्थशास्त्री जो पहले मनरेगा के आलोचक थे, आज इसकी सराहना कर रहे हैं. पीएम मोदी मनरेगा को नहीं समझ सकते हैं. उन्होंने इसका मजाक उड़ाया और कहा कि लोगों से गड्ढे खुदवाए गए हैं. ऐसा नहीं है, इससे श्रम बाजार में सुधार आया. इससे भारत में पहली बार न्यूनतम मजदूरी की व्यवस्था बनी.'

उन्होंने कहा, 'जब भारत के लोग यह मानना शुरू कर दें कि सत्ता में बैठा व्यक्ति उनकी बात नहीं सुनता और उनका सम्मान नहीं करता और जब विपक्ष एकजुट हो जाए, तो फिर बीजेपी के लिए जीत व्यावहारिक रूप से असंभव हो जाती है.'

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