खुद को जनेऊधारी हिंदू ब्राह्मण, शिवभक्त, रामभक्त बताने के बाद अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मां दुर्गा की शरण में जाने वाले हैं. अब इसे कांग्रेस की बदले वक़्त की सियासत कहिए या राहुल गांधी की भक्ति लेकिन ये सच है.
2014 के आम चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस ने समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी के मुखिया पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटोनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पार्टी की हार की बड़ी वजह उसकी एंटी हिंदू छवि बनी. ऐसे में भला बहुसंख्यक आबादी के खिलाफ छवि के साथ एक पार्टी कैसे सत्ता में वापसी का ख्वाब देख सकती है.
एंटनी रिपोर्ट के बाद कांग्रेस कर रही छवि में बदलाव
एंटनी की रिपोर्ट के बाद पार्टी आहिस्ता-आहिस्ता अपनी छवि में बदलाव करती हुई दिखने लगी. सबसे पहले राहुल ने केदारनाथ यात्रा की. उसके बाद गुजरात चुनावों में मंदिर-मंदिर और नवरात्रों के पंडालों में जाकर पूजा-अर्चना की. ये सिलसिला कर्नाटक में भी जारी रहा और आने वाले विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी जारी रहने वाला है.
इस बीच खुद को हिंदू जनेऊधारी ब्राह्मण और शिवभक्त बताने वाले राहुल ने कैलाश मानसरोवर की कठिन यात्रा पूरी की. कैलाश से राहुल लौटे तो उनकी सियासी यात्राओं में शिवभक्त राहुल के पोस्टर और बोल बम के नारे काफी कुछ बयां कर रहे थे. इसके बाद एमपी की चुनावी यात्रा की शुरुआत राहुल ने चित्रकूट के कामतानाथ मंदिर की पूजा करके बतौर रामभक्त शुरू की और रामभक्त राहुल के पोस्टर भी पार्टी कार्यकर्ताओं ने लगाए. अब कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ जा रही है या अपनी प्रो-मुस्लिम छवि को तोड़ रही है, ये तो बाद में तय होगा, लेकिन ये तय है कि वो बदल रही है.
इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए राहुल अब मां दुर्गा की शरण में जाने वाले हैं. पार्टी के बंगाल के नेताओं से मुलाकात के बाद तय हुआ कि राहुल 17 अक्टूबर को इस बार नवमी के दिन मां दुर्गा के पंडाल में कोलकाता जाकर पूजा करेंगे. वैसे भी दुर्गा पूजा बंगाल का सबसे बड़ा पर्व है. ऐसे में राहुल का इस मौके पर वहां जाना खुदबखुद सियासी कहानी का बड़ा संकेत देता है.
राहुल के इस तरह पूजा पाठ करने के सवाल पर कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने कहा किअपने धर्म का मान और दूसरे धर्मों का सम्मान कांग्रेस की नीति रही है. धर्म व्यक्तिगत आस्था की बात है, इसलिए इस पर टिप्पणी की जरूरत नहीं.