केदारनाथ में विधि विधान से पूजा शुरू कराने से पहले मंदिर की साफ सफाई के लिये मंदिर समिति शुक्रवार को 10 सदस्यीय नई टीम वहां भेजेगी जिसके बाद मंदिर का शुद्धिकरण होगा. उम्मीद की जा रही है कि मंदिर में पूजा शनिवार से शुरू होगी. उत्तराखंड में आई भीषण बाढ़ में सबसे ज्यादा नुकसान केदारनाथ क्षेत्र को ही हुआ है हालांकि मंदिर सुरक्षित है.
शनिवार से केदार मंदिर में फिर से पूजा शुरू करने की तैयारी है. पुजारियों की बैठक में तय हुआ है कि मंदिर की सफाई और पूजा में अब देर नहीं की जाएगी. इसके लिए 20 पुजारियों का एक जत्था केदारनाथ जाएगा. लेकिन ये तभी होगा जब सरकार पुजारियों के आने-जाने के लिए चॉपर का इंतज़ाम करेगी.
पापियों की आत्मा को शुद्ध करने वाले केदारनाथ के दरबार को अब पूजा से पहले सफाई और श्लोक के अभिषेक की दरकार है. ईश्वर के घर को पवित्र करने के लिए नश्वर लोक के धार्मिक ध्वजाधारियों की बैठक हुई है. पुजारियों की जमात कहती है बैकुंठ पहुंचाने वाले बाबा को अब आराधना की बैतरणी पार करना होगा.
बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर समिति के पुजारियों की एक लंबी बैठक हुई है. लेकिन इस सत्य से बड़ा कोई झूठ नहीं कि आध्यात्म के शिखर पहुंचने वाले अभिमान के पाखंड से आज़ाद होते हैं. बाबाओं की बैठक में विवाद भी हुआ विषाद भी फैला. कुछ ने कहा अभी कैसे पूजा होगी. कुछ ने कहा तत्काल शुरू करनी होगी और कुछ ने कहा वेदों के विधान का सम्मान हो. अब सहमति बनी है कि शनिवार को केदारनाथ मंदिर में आपदा के बाद पहली पूजा की जाए.
केदारनाथ को फिर से पूजा के लायक बनाने के लिए सिर्फ अक्षत, दूब और दूध की ज़रूरत नहीं है. कितनी अजीब बात है कि जिस केदारनाथ तक पहुंचने के लिए लाखों लोग दुर्गम पहाड़ियों में मीलों की यात्रा करते हैं उसकी आराधना के लिए पुजारियों की पलटन चॉपर में बैठकर जाएगी. हजारों लोगों की परवाह छोड़कर पुजारियों ने सरकार से अपने लिए चॉपर की मांग की है. पूजा का मुहूर्त अब चॉपर की बंदोबस्ती पर तय है.
इस बीच केदारनाथ संवेदना की मौत और मौत के शोक का शहर बना हुआ है. अपने वीरानेपन से लड़ता हुआ. पूरे केदारनाथ में कोई दस फुट ऊंचा मलबा जमा है. और उन मलबों के नीचे दबी हैं उखड़ी हुई सांसें, उजड़ा हुआ संसार. बाबा केदार के कूचे में शोक की गर्जना के बीच जारी है विश्वास की वंदना की तैयारी.
बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष और श्रीनगर के विधायक गणेश गोदियाल ने श्रीनगर से बताया, ‘मंदिर में अभी नियमित पूजा शुरू नहीं हुई है. अभी वहां काफी मलबा जमा है जिसकी सफाई के लिये हम हेलीकॉप्टर से दस सदस्यीय टीम भेज रहे हैं. टीम की अगुवाई केदारनाथ के कार्यकारी अधिकारी अनिल शर्मा करेंगे. मैं भी परसों वहां पहुंच जाऊंगा.’
उन्होंने कहा, ‘मंदिर परिसर से सारे शव हटा दिये गए हैं. शिवलिंग रेत में डेढ फुट भीतर चला गया है लेकिन उसे कोई हानि नहीं हुई है. मंदिर के भीतर मलबा जमा है जिसे कुछ हद तक मंदिर समिति और एनडीआरएफ के जवानों ने हटाया. अब यह नई टीम शुक्रवार को जा रही है.’
गोदियाल ने कहा, ‘चूंकि बाढ़ में मंदिर समिति के भी कई कर्मचारी लापता हो गए हैं लिहाजा हमें नई टीम बनानी पड़ी.’
मंदिर में पूजा शुरू होने की मीडिया में आ रही खबरों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘पुजारियों की मौजूदगी में विधि विधान से अभी कोई पूजा नहीं हुई है जो लोग बाढ़ में बच गए हैं, वे शंकरजी को अगरबत्ती, फूल और बेलपत्र चढ़ा रहे हैं. यह उनकी आस्था है.’
उन्होंने कहा, ‘सफाई के बाद शंकराचार्य और रावलजी (भीमशंकर लिंग शिवाचार्य, केदारनाथ के मुख्य पुरोहित) के मार्गदर्शन में शुद्धिकरण के बाद पूजा संपन्न होगी. वहीं केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने बताया था कि मंदिर से चलायमान मूर्तियां नीचे उखीमठ लाई जा चुकी हैं जहां आम तौर पर ठंड के महीने में उनकी स्थापना की जाती है.
उन्होंने कहा, ‘हम आम तौर पर ठंड में मूर्तियां नीचे लाते हैं लेकिन बाढ़ के कारण पहले लाना पड़ा. अब केदारनाथ मंदिर के शुद्धिकरण के बाद ही वहां पूजा शुरू होगी. जब तक शुद्धिकरण नहीं होगा, वहां पूजा नहीं हो सकती.’