scorecardresearch
 

मुस्लिमों को ना, बाकी को हां? नागरिकता कानून पर पूर्वोत्तर के राज्य क्यों खफा?

इस बिल का विपक्षी पार्टियां पुरजोर विरोध कर रही हैं, इसके अलावा कई संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं. मोदी सरकार के नए कानून का सबसे ज्यादा विरोध पूर्वोत्तर में हो रहा है, लोग सड़कों पर उतर कर केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं.

Advertisement
X
पूर्वोत्तर में बिल का हो रहा है पुरजोर विरोध (फोटो: PTI)
पूर्वोत्तर में बिल का हो रहा है पुरजोर विरोध (फोटो: PTI)

  • आज लोकसभा में पेश होगा नागरिकता कानून
  • पूर्वोत्तर में कई संगठनों ने विरोध में बुलाया बंद
  • केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पेश करेंगे बिल

संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार एक नया कानून पेश करने जा रही है. नागरिकता संशोधन बिल, 2019 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज लोकसभा में पेश करेंगे. इस बिल का विपक्षी पार्टियां पुरजोर विरोध कर रही हैं, इसके अलावा कई संगठन भी इसका विरोध कर रहे हैं. मोदी सरकार के नए कानून का सबसे ज्यादा विरोध पूर्वोत्तर में हो रहा है, लोग सड़कों पर उतर कर केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं.

सिर्फ असम में इस बिल के विरोध में सोमवार को 16 संगठनों ने 12 घंटे का बंद बुलाया है. इनके अलावा आदिवासी छात्रों ने भी इस बंद का समर्थन किया है, असम के अलावा अन्य राज्यों में भी बिल के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा है. नागरिकता कानून से पहले एनआरसी का भी भरपूर विरोध किया गया था.

Advertisement

नागरिकता बिल से जुड़ी पूरी कवरेज, यहां क्लिक कर पढ़ें...

पूर्वोत्तर के लोग क्यों कर रहे हैं विरोध?

केंद्र सरकार जो नागरिकता संशोधन बिल ला रही है, वह पूरे देश में लागू होना है. लेकिन इसका सर्वाधिक विरोध असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में हो रहा है. दरअसल, बांग्लादेश से अधिकतर हिंदू-मुस्लिम लोग जो बॉर्डर पार कर इस तरफ आते हैं वह इन राज्यों में ही बस जाते हैं.

अब अगर नए कानून के तहत बाहर से आए हिंदू लोगों को नागरिकता मिल जाएगी, तो वह वहां पर सदा के लिए बस जाएंगे. इसका सीधा असर वोटबैंक पर भी पड़ेगा. इसके अलावा स्थानीय नागरिकों ने इसे पूर्वोत्तर की भाषाई, सांस्कृतिक अस्मिता के लिए खतरा बताया है. सिर्फ पूर्वोत्तर ही नहीं बल्कि बंगाल में भी ममता बनर्जी ने इसे बंगाली अस्मिता से जोड़ दिया है.

हालांकि, विरोध को देखते हुए अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम के इनर लाइन परमिट एरिया को इस बिल से बाहर रखा गया है. इसके अलावा ये बिल नॉर्थ ईस्ट के छठे शेड्यूल का भी बचाव करता है.

नागरिकता कानून पर विवाद क्यों? पहले क्या था और अब क्या? 10 पॉइंट में समझें

CAB का एनआरसी से है संबंध?

दरअसल, पूर्वोत्तर के लोगों के द्वारा इस बिल का विरोध करने का एक कारण और भी है. क्योंकि असम में एनआरसी लागू हो गया है और इसे देशभर में लागू किया जा रहा है. इसके जरिए अधिकतर लोग जो देश से बाहर हो रहे हैं, वह मुस्लिम हैं. और दूसरी ओर CAB की वजह से जिन लोगों को नागरिकता मिलेगी वह भी गैर-मुस्लिम होंगे, यही कारण है कि स्थानीय दल जबरदस्त विरोध कर रहे हैं.

Advertisement

बता दें कि नए बिल के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता मिलने में आसानी होगी. जबकि मुस्लिमों को नागरिकता के नियम में शामिल नहीं किया गया है.

Advertisement
Advertisement