सुप्रीम कोर्ट में लगातार नोटबंदी के खिलाफ बढ़ रही याचिकाओं को लेकर केंद्र द्वारा दायर की गई याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई के लिए गुरुवार को सहमति दे दी है.
न्यायमूर्ति ए.आर. दवे और न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी की दलील पर सहमति जताई. कोर्ट ने कहा कि शीर्ष न्यायालय को छोड़ कर विभिन्न अदालतों में कार्रवाई से बहुत भ्रम पैदा होगा, इसीलिए इन मामलों से जुड़ी सुनवाई सिर्फ उच्चतम न्यायालय में ही होगी.
पीठ ने 15 नवंबर को विमुद्रीकरण की सरकार की अधिसूचना पर स्थगन लगाने से इनकार कर दिया लेकिन सरकार से कहा कि वह आमजन की तकलीफों को कम करने के कदम बताए.
उच्चतम न्यायालय में दायर चार जनहित याचिकाओं में से दो दिल्ली आधारित वकीलों विवेक नारायण शर्मा और संगम लाल पांडेय ने दायर की हैं. जबकि एस. मुथुकुमार और आदिल अलवी ने एक-एक याचिका दायर की है.
याचिकाकर्ताओं के आरोप हैं कि अचानक किए गए फैसले से अव्यवस्था पैदा हो गई है और आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं. उन्होंने मांग की है कि वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की अधिसूचना या तो निरस्त की जाए या कुछ समय के लिए टाली जाए.