पूरे देश में नेट न्यूट्रैलिटी के समर्थन में उठ रही आवाज को सरकार का भी समर्थन मिल सकता है. सरकार का मानना है कि इंटरनेट इस देश की संस्कृति को बढ़ावा दे रही है और डिजिटल साक्षरता को फैलाने के लिए इंटरनेट पर अंकुश लगाना सही नहीं है.
सोमवार को केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार को ऐसा लगता है कि इंटरनेट इंसानी दिमाग का सबसे नायाब खोज है. आज की तारीख में इसे बिना भेदभाव के आम आदमियों के बीच पहुंचना चाहिए. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन्स ने एक कमिटी का गठन किया है जो सरकार को नेट न्यूट्रैलिटी के मुद्दे पर एक व्यापक निर्णय लेने में मदद करेगी.
सरकार द्वारा बनाई गई ये कमिटी मई के दूसरे हफ्ते में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. प्रसाद ने ये साफ किया कि ये कमिटी TRAI से स्वतंत्र होगी. दूसरे शब्दों में समझें तो अगर सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर TRAI की सहमति नहीं होती है तो यही कमिटी फिर एक नया प्रस्ताव तैयार करेगी.
प्रसाद ने नेट न्यूट्रैलिटी पर साफ साफ कुछ कहने से इंकार कर दिया. लेकिन केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इंटरनेट समाज के हर तबके में पहुंचना जरूरी है ताकि केंद्र की मोदी सरकार का 'डिजिटल इंडिया' का सपना पूरा किया जा सके.