रीयल एस्टेट क्षेत्र में गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने खुद ही यह जांच करने का निर्णय किया है कि क्या विभिन्न डेवलपर खरीदारों को भ्रमित कर रहे हैं.
इसके अलावा, सीसीआई ने देश की सबसे बड़ी रीयल्टी कंपनी डीएलएफ के खिलाफ शिकायत की जांच कराने का निर्णय किया है.
सीसीआई सूत्रों ने कहा कि फ्लैट के कब्जे में विलंब, बिक्री अनुबंधों में नियमों एवं शर्तों में बदलाव और ग्राहकों के लिए अनुबंध से बाहर निकलने के रास्ते बंद करने की आम शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए आयोग ने भ्रामक विज्ञापनों की शिकायतों की पड़ताल करने का भी निर्णय किया है.
उन्होंने कहा कि सीसीआई ने डीएलएफ के खिलाफ शिकायतों की जांच का मामला जांच महानिदेशक के पास भेज दिया है.
संपर्क करने पर डीएलएफ के अधिकारियों ने इस मामले में यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार किया कि उन्हें सीसीआई की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला है.
इसी तरह की एक शिकायत के मुताबिक, डीएलएफ ने गुड़गांव में ब्लेयर के नाम से अपनी रिहाइशी परियोजना 2009 में पूरी करने का वादा किया था, लेकिन खरीदारों को अभी तक इसका कब्जा नहीं दिया गया है.
एक अन्य व्यक्ति ने हाइट परियोजना के लिए डीएलएफ पर आरोप लगाया है कि कंपनी ने शुरुआत में घोषणा की थी कि यह 18 मंजिला अपार्टमेंट है, लेकिन बाद में उसने खरीदारों को बिना सूचित किए इसमें और 10 मंजिल बढ़ा दिए.