महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध और बलात्कार विरोधी कानून (एंटी रेप लॉ) में संशोधन से जुड़े विधेयक पर मंगलवार को भी कैबिनेट में सहमति नहीं बन पाई.
सूत्रों के हवाले से खबर है कि एंटी रेप लॉ पर गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय पर सहमति नहीं बन पाई है. मतभेद को सुलझाने के लिए जीओएम (ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स) बनाया गया है. गुरुवार को कैबिनेट में फिर से एंटी रेप लॉ पर चर्चा हो सकती है.
पी चिदंबरम के अलावा ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स में तीन मंत्री और हैं. अश्विनी कुमार, कपिल सिब्बल और कृष्णा तीरथ इस GOM में शामिल हैं.
कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि मतभेदों को सुलझाने के लिए ही GOM बनाया गया है और शुक्रवार तक GOM अपनी रिपोर्ट सौंपेगा.
दरअसल एंटी रेप कानून को लेकर दो मंत्रालयों में पेंच फंस गया है. सूत्रों की माने तो इस कानून की बारीकियों को लेकर कानून मंत्रालय और गृह मंत्रालय में सहमति नहीं बन पाई है. कानून मंत्रालय चाहता है बिल में यौन शोषण की जगह बलात्कार शब्द का इस्तेमाल हो और सहमति से सेक्स की उम्र 16 साल कर दिया जाए.
सहमति से सेक्स को लेकर कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा है कि समझौते से शारीरिक संबंध बनाने को अपराध के दायरे में लाना ठीक नहीं. गौरतलब है कि पिछले महीने जारी अध्यादेश के स्थान पर इस विधेयक को लाया जा रहा है. इस विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि किसी आधिकारिक पद पर आसीन व्यक्ति अगर बलात्कार का दोषी पाया जाता है तो उसे अपना समूचा जीवन जेल में बिताना होगा. अध्यादेश में इन लोगों के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद रखी गई थी.
यह नया विधेयक पिछले दिसंबर में लोकसभा में पेश अपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक-2012 का भी स्थान लेगा.