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तीन तलाक पर अध्यादेश तीसरी बार जारी, जून में हो जाएगा समाप्त

ट्रिपल तलाक की प्रथा को मुस्लिम पुरुषों के लिए दंडनीय अपराध बनाने वाले अध्यादेश को गुरुवार को तीसरी बार जारी किया गया. कानून मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) दूसरा अध्यादेश 2019, पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.

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ट्रिपल तलाक की प्रथा को मुस्लिम पुरुषों के लिए दंडनीय अपराध बनाने वाले अध्यादेश को गुरुवार को तीसरी बार जारी किया गया. कानून मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) दूसरा अध्यादेश 2019, पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.

मंगलवार को कैबिनेट ने विवादास्पद ट्रिपल तलाक अध्यादेश को फिर से जारी करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी. ट्रिपल तलाक की प्रथा पर प्रतिबंध लगाने वाले एक विधेयक को लोकसभा ने पारित किया था और यह विधेयक फिलहाल राज्यसभा में लंबित है. मौजूदा लोकसभा के भंग होने के साथ ही तीन जून को यह विधेयक भी समाप्त हो जाएगा. एक वर्ष से भी कम समय में इस अध्यादेश को तीसरी बार फिर से जारी किया गया है.

विपक्षी पार्टियों और समुदाय के कुछ नेताओं ने इस विधेयक पर आपत्ति जताई है और कहा है कि अपनी पत्नी को तत्कात तीन तलाक देने के बाद एक आदमी के लिए जेल की अवधि कानूनी रूप से अस्थिर है. लेकिन सरकार ने दावा किया है कि यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं को न्याय और समानता प्रदान करता है. इससे मुस्लिम महिलाओं को न्याय और बराबरी का हक मिलेगा. एक वर्ष से भी कम समय में तीसरी बार अध्यादेश जारी किया गया है. 3 जून को वर्तमान लोकसभा के विघटन के साथ यह बिल चूक गया था.

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मुस्लिम महिलाओं (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के तहत, तत्काल ट्रिपल तलाक के माध्यम से तलाक देना अवैध होगा और पति के लिए तीन साल जेल की सजा होगी.

चूंकि विधेयक को संसदीय स्वीकृति नहीं मिल पाई, इसलिए एक नया अध्यादेश जारी किया गया. सभी आशंकाओं को देखते हुए कि प्रस्तावित कानून का दुरुपयोग हो सकता है, सरकार ने इसमें कुछ सुरक्षा उपायों को शामिल किया है जैसे कि परीक्षण से पहले अभियुक्तों के लिए जमानत का प्रावधान जोड़ना.

इन संशोधनों को 29 अगस्त, 2018 को मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दे दी गई थी. जबकि अध्यादेश इसे "गैर-जमानती" अपराध बनाता है, एक अभियुक्त जमानत लेने के लिए मुकदमे से पहले भी एक मजिस्ट्रेट से संपर्क कर सकता है.

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