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प्रत्यक्ष कर संहिता को मंत्रिमंडल की हरी झंडी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नए आय कर कानून के लिए प्रस्तावित विधेयक को गुरुवार को मंजूरी दे दी जिसमें व्यक्तिगत आयकर की छूट की सीमा को मौजूदा 1.6 लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है.

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नए आय कर कानून के लिए प्रस्तावित विधेयक को गुरुवार को मंजूरी दे दी जिसमें व्यक्तिगत आयकर की छूट की सीमा को मौजूदा 1.6 लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है.

प्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में 50 साल पुराने आयकर अधिनियम के स्थान पर प्रस्तावित पारदर्शी एवं सरल प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) विधेयक को मंत्रिमंडल की मंजूरी के साथ ही इस महत्वपूर्ण विधेयक को संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो गया है. इस विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में पेश किए जाने की संभावना है. संसद में पेश किए जाने के बाद इसे प्रवर समिति को भेजा जा सकता है.

विधेयक में कंपनी आयकर पर अधिभार तथा उपकर हटाने का प्रस्ताव भी है जो उद्योगों के लिए राहत भरा होगा. प्रस्तावित कानून में आयकर के लिए छूट सीमा के बारे में पूछे जाने पर वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि इसे मौजूदा 1.6 लाख रुपये से बढाकर दो लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है. {mospagebreak}

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उन्होंने कहा, 'संपूर्ण उद्देश्य छूटों की बहुलता को सीमित करना है. आयकर स्लैब तीन होंगी. कर दरों को अनुसूचि में लिया जाएगा ताकि उन्हें हर साल बदलने की जरूरत नहीं पड़े.' निगमित कर के बारे में उन्होंने कहा कि इसे 30 प्रतिशत के मौजूदा स्तर पर ही बनाये रखने का प्रस्ताव है लेकिन वहां इस पर किसी तरह का अधिभार या उपकर नहीं होगा.

सूत्रों का कहना है कि डीटीसी विधेयक को सोमवार को संसद में पेश किया जा सकता है. इसके बाद इसे संसद की प्रवर समिति के पास भेज जा सकता है. प्रवर समिति में सदन के दोनों सदनों के चयनित सदस्य होते हैं. वित्त मंत्रालय ने डीटीसी विधेयक के मसौदे को मंजूरी के लिये मंत्रिमंडल के समक्ष लाने से पहले जनचर्चा के लिये इसका प्रारूप जारी किया था. इसके कुछ प्रावधानों पर आम नौकरी पेशा और उद्योग जगत की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई थी.

इनका समाधान करते हुये मंत्रालय ने संशोधित मसौदा पेश किया जिसमें कंपनियों की संपत्तियों के आधार पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) लगाने का प्रावधान को छोड़ दिया था. डीटीसी के संशोधित मसौदे के मुताबिक सरकारी भविष्य निधि कोष (जीपीएफ) सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) और मान्यता प्राप्त भविष्य निधि (आरपीएफ) में निवेश करते समय, उसके संचालन के समय और निकासी के समय तीनों स्तरों पर कर छूट का प्रावधान बरकार रखा गया है. जबकि पहले प्रारूप में निकासी के समय आयकर लगाने का प्रावधान किया गया था.

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