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निर्वासित तिब्बती PM बोले- हर इंडियन सोचे राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरी या चीनी सामान खरीदना

चीनी सामानों के बहिष्कार पर लोबसंग सांगेय ने कहा कि तनाव अधिक है तो हर एक इंडियन को तय करना होगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा महत्वपूर्ण है या चीनी उत्पादों को खरीदना.

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तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री लोबसंग सांगेय
तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री लोबसंग सांगेय

  • तिब्बत की निर्वासित सरकार के पीएम ने रखी अपनी राय
  • 5 फिंगर्स को काबू में करना चाहता है चीनः लोबसंग सांगेय

लद्दाख में LAC पर भारत-चीन के बीच तनातनी कम होती दिख रही है. पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाएं धीरे-धीरे पीछे हट रही हैं. यहां कई इलाकों में दोनों देशों की सेनाएं पूर्व की स्थिति में लौट रही हैं. ये सुधार तब देखा जा रहा है जब इसी हफ्ते दोनों देशों में सैन्य स्तर की वार्ता होने जा रही है. वहीं, भारत-चीन मसले पर तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री लोबसंग सांगेय ने अपना पक्ष रखा है.

इंडिया टुडे के न्यूज ट्रैक प्रोग्राम में लोबसंग सांगेय ने कहा कि चीन 5 फिंगर्स (लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, नेपाल, भूटान) को काबू करना चाहता है. पिछले 16 साल से वो इन जगहों पर ऐसी नापाक हरकतें कर रहा है. अब उसने लद्दाख में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं. फिलहाल वुहान की वजह से चीन इंटरनेशनल प्रेशर में है क्योंकि हर एक देश कोरोना महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहरा रहा है. WHO में 130 देशों ने (कोरोना कहां से आया) जांच की मांग की है, जबकि हम सबको पता कोरोना चीन से ही आया है.

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उन्होंने कहा कि चीनी सरकार ने तिब्बत में विकास-समृद्धि के नाम पर सड़क बनाने की बात कही थी, लेकिन उन सड़कों पर हथियारों से भरे ट्रक चलाने शुरू कर दिए. ये सड़क भारत सीमा तक है. उन्होंने कहा कि जब तक तिब्बत का मुद्दा हल नहीं होता है, तब तक सीमा पर घुसपैठ जारी रहेगी. इस प्रकार के मुद्दे चीनी सरकार पर आंतरिक या अंतर्राष्ट्रीय दबाव पड़ने पर आते रहेंगे. जब तक सीमा भारत-चीन से वापस भारत-तिब्बत में नहीं बदल जाती, तब तक ये जारी रहेगा. अगर चीन को लगता है कि तिब्बत उसका साथ देगा तो ये उसकी गलतफहमी होगी.

हुआ था पंचशील समझौता...

उन्होंने कहा कि 1954 में भारत-चीन के बीच शांतिपूर्ण संबंधों को लेकर पंचशील समझौता हुआ था. इसी समझौते के तहत भारत ने तिब्बत में चीन शासन को स्वीकार किया, लेकिन 1959 में दलाई लामा के भारत में शरण लेने के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव आने लगा. यही भारत-चीन युद्ध की बड़ी वजह बना. ऐसे में भारत को अतीत से सीख लेने की जरूरत है और चीन पर विश्वास करना कहीं से भी ठीक नहीं है.

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चीनी सामानों के बहिष्कार पर लोबसंग सांगेय ने कहा कि तनाव अधिक है तो हर एक इंडियन को तय करना होगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा महत्वपूर्ण है या चीनी उत्पादों को खरीदना. इसकी शुरुआत चीनी उत्पादों का समर्थन नहीं करने वाली हस्तियों के साथ शुरू कर सकते हैं और जो सेलिब्रिटी चीनी प्रोडक्ट की ब्रैडिंग करते हैं वो बंद कर दें . उन्होंने कहा कि आप किसी भी देश से किसी भी तरह के व्यवसाय को नियंत्रित कर सकते हैं.

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