राज्यसभा और लोकसभा के मुद्दे पर बिहार में सत्तारूढ़ जेडीयू में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं. पार्टी ने कुछ महीनों पहले तक प्रवक्ता रहे शिवानंद तिवारी को कार्यकाल पूरा होने के बाद दोबारा राज्यसभा नहीं भेजने का फैसला किया. फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कहा कि तिवारी हों चाहे साबिर अली, इन्हें लोकसभा का चुनाव लड़ना होगा और इस पर अपना फैसला दो दिन के भीतर बताना होगा. अब शिवानंद ने नीतीश कुमार पर पलटवार करते हुए कहा कि मैं लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ूंगा. इसकी वजह बताते हुए तिवारी बोले कि नीतीश कुमार चाहते हैं कि मैं चुनाव हार जाऊं. गौरतलब है कि पार्टी ने उन्हें बक्सर से लोकसभा चुनाव लडाने का फैसला किया था.
प्रदेश अध्यक्ष को खत लिख मढ़ी नीतीश पर तोहमत
शिवानंद तिवारी ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को पत्र लिख कर कहा है कि जो आदमी (नीतीश कुमार) नफरत की हद तक मुझे नापसंद करता है. जो मुझे काटने के लिए दो निर्दोषों का निष्ठुरतापूर्वक वध कर सकता है, उसकी तरफ से मैं चुनाव लड़ने की मूर्खता कैसे कर सकता हूं.
साबिर अली चुनाव लडऩे को तैयार
ध्यान रहे कि शिवानंद तिवारी के साथ साथ नीतीश कुमार ने एन के सिंह और साबिर अली का भी राज्यसभा से पत्ता काट दिया. इनमें से सिर्फ साबिर अली ही लोकसभा चुनाव लडऩे को तैयार हैं. पार्टी एन के सिंह को बांका और साबिर अली को शिवहार से चुनाव लडाना चाहती है.
दिल्ली चुनाव में अली का दोहन कर छोड़ दिया
नीतीश कुमार पर अपना हमला तेज करते हुए शिवानंद ने उन पर पार्टी के मुस्लिम चेहरे साबिर अली का इस्तेमाल कर फेंक देने का आरोप लगाया. तिवारी ने अपने पत्र में लिखा है कि हद तो साबिर अली के मामले में हुई. दिल्ली के चुनाव में उसका दोहन हुआ और जब नीतीश कुमार दिल्ली गए थे तब उन्होंने सबके सामने कहा था कि साबिर अली दोबारा राज्यसभा जाएंगे. उन्होंने आगे लिखा है कि जिसमें थोड़ी सी भी इंसनियत होगी वह इस तरह का व्यवहार कैसे कर सकता है.
नीतीश ने कौन से तेवर और मंच अपनाए
शिवानंद तिवारी ने आगे पत्र में लिखा है कि मै अच्छी तरह जानता हूं कि नीतीश जीताने के लिए नहीं मुझे हराने के लिए चुनाव लडने को कह रहे हैं. एनडीए से जब हमलोग बाहर निकले थे, उसी समय मैंने नीतीश को कहा था कि मैं चुनाव लडना चाहता हूं. आप लड़िए, यह कहने में उस समय क्या दिक्कत थी. चुनाव लड़ने का फैसला सुनाने के लिए श्रीकृष्ण मेमोरियल का मंच क्यों चुना गया. मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए तिवारी लिखते हैं कि फैसला सुनाने का जो अंदाज और तेवर था वह चुनाव जीताने वाला था या हराने वाला.
लालू को भी लिखा था खत
पार्टी फोरम पर मोदी की आलोचना न करने का संदेश देने वाले शिवानंद तिवारी पत्र लिखने में महिर हैं. जब उन्होंने आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद यादव का साथ छोड़ा था, तब भी खूब पत्र लिखा था. अब जब जेडीयू ने टिकट नहीं दिया, तो उनकी यह कवायद भड़ान निकालना मानी जा रही है.