‘आर्ट ऑफ लिविंग’ संस्था के प्रमुख श्री श्री रविशंकर के अयोध्या मसले पर सीरिया वाले बयान को लेकर देश भर में हंगामा मचा हुआ है. मंगलवार को श्री श्री रविशंकर ने बरेली में इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां के साथ बात की.
इस मौके पर श्री श्री ने कहा कि उनके बयान को गलत ढंग से पेश किया गया है और सीरिया वाला ट्विस्ट मीडिया का दिया हुआ ट्विस्ट है. श्री श्री ने ये भी कहा कि वो अयोध्या मुद्दे का समाधान ढूंढने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं. वहीं तौकीर रजा ने कहा कि श्री श्री से बातचीत बहुत सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और वो सोचते हैं कि निश्चित रूप से समाधान ढूंढ लिया जाएगा. बरेली में श्री श्री रविशंकर और तौकीर रजा गले मिलते भी दिखे.
हालांकि आल इंडिया मजलिस –ए- इत्तेहादुल मुसलिमीन (AIMIM) नेता असदुद्दीन ओवैसी ने रविशंकर के बयान को लेकर लगातार कड़ा रुख अपना रखा है. ओवैसी ने मंगलवार को दिल्ली में कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हैं कि अयोध्या मामले की सुनवाई 2019 लोकसभा चुनाव के बाद की जाए क्योंकि इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया जा रहा है. ओवेसी के मुताबिक अगर इस मामले की सुनवाई 2019 लोकसभा चुनाव के बाद होती है तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा. ओवैसी ने कहा कि क्यों कोई उन पर उंगली नहीं उठाता जो भारत के सीरिया बन जाने की धमकियां दे रहे है. इस तरह के बयान वो देते हैं जो भारतीय संविधान या सुप्रीम कोर्ट में विश्वास नहीं रखते. ओवैसी ने खुद को धमकियां मिलने की बात भी कही.
बरेली में ‘आज तक’ से बातचीत में इतिहाद-ए-मिल्लत के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि श्री श्री रविशंकर देश प्रेम की भावना से काम कर रहे हैं. अच्छाई के लिए जो भी काम करे, उसका साथ अच्छाई में यकीन रखने वाले लोगों को भी देना चाहिए. तौकीर रजा ने कहा, ‘जहां तक उनकी बात को मैंने समझा वो ये है कि कोर्ट से जो फैसला होगा वो एक पक्ष के लिए खुशी की बात होगी और दूसरे पक्ष के लिए गम की बात होगी. एक शौर्य दिवस मनाएगा तो दूसरा काला दिवस मनाएगा. ऐसा माहौल बनेगा तो देश के हालात बिगड़ने का खतरा है. होना ये चाहिए कि कोर्ट के फैसले से पहले ही इंसानियत के नाते दोनों पक्षों को बातचीत के लिए राजी करने की कोशिश की जाए. अगर बातचीत ऑउट ऑफ कोर्ट की जा सकती है तो ये कोशिश करनी चाहिए. अगर किसी नतीजे पर पहुंचने में कामयाबी मिलती है तो इससे अच्छी कोई बात नहीं. अगर ऐसा नहीं होता तो फिर जैसा चल रहा है, वैसे ही चलने दिया जाए यानि कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाए.’
तौकीर रजा ने साथ ही जोर देकर कहा कि इंसानियत के नाते हमारी और श्री श्री रविशंकर की नहीं, तमाम लोगों की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि किसी भी सूरत में इस मामले को लेकर दंगे फसाद का माहौल ना बनने दें. तौकीर रजा ने कहा कि वो सभी लोग जो हिन्दुस्तान में एकता और भाईचारे में यकीन रखते हैं, सेकुलरिज्म में यकीन रखते हैं, इस काम के लिए आगे आएं.
जब तौकीर रजा से यह पूछा गया कि आखिरकार मामले का समाधान क्या है तो उन्होंने कहा, 'समाधान मैंने बताया कि दोनों पक्षों को हम कोशिश करेंगे कि एक बार साथ बिठाया जाए. दोनों की शर्तों के आधार पर कोई समझौता बन सकता है तो वो कोशिश की जानी चाहिए. निर्मोही अखाड़ा वालों से भी बात हुई है. एक विश्व हिंदू परिषद का मामला हमें लगता है कि वह किसी भी सूरत में नहीं चाहेंगे कि आउट ऑफ कोर्ट में मामला तय हो. ऐसे ही कुछ लोग हमारी तरफ भी हैं. विश्व हिंदू परिषद कहती है हमारी आस्था बड़ी है तो आस्था हमारी भी है. हमारी भी आस्था बहुत बड़ी है किसी से कम नहीं है. लेकिन आस्था के नाम पर दंगे फसाद करना यह मुनासिब नहीं है. यह काम जो भी कर रहा है या जो करना चाहता है वह अपने देश से प्यार नहीं करता है. वह देश का गद्दार है. हमें हिंदू मुस्लिम एकता के लिए काम करना चाहिए. इसके लिए जो कुर्बानी देनी पड़े वो हम देने के लिए तैयार हैं.’
तौकीर रजा ने कहा, ‘श्री श्री रविशंकर की जो लोग मुखालफत कर रहे हैं, मैं समझता हूं कि वो ठीक लोग नहीं है. श्री श्री रविशंकर जैसे लोग अगर हिंदुस्तान में हैं तो हिंदुस्तान में अभी इंसानियत बाकी है, ऐसा मेरा मानना है. ताली दोनों हाथों से बजती है, हाथ मिलाने की जरूरत है. आज हमने और श्री श्री रविशंकर ने हाथ मिलाया है. कोशिश यही रहेगी कि जल्दी हम दोनों पक्षों को भी साथ बैठा सकें और सहमति की ओर बढ़ने के लिए उन्हें तैयार करें.’
तौकीर रजा ने असदुद्दीन ओवैसी के इस बयान को लेकर असहमति जताई कि श्री श्री रविशंकर पर सीरिया वाले बयान को लेकर केस दर्ज कर दिया जाना चाहिए. तौकीर रजा के मुताबिक मुसलमानों के हक के नाम पर जो भी उन को भड़काने का काम करता है वो मेरी नजर में देश का दुश्मन है.
अयोध्या विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने की वकालत करने वाले आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख श्री श्री रविशंकर ने सोमवार को कहा था कि यह मामला नहीं सुलझा तो देश सीरिया बन जाएगा. उन्होंने कहा था, 'अयोध्या मुस्लिमों का धार्मिक स्थल नहीं है. उन्हें इस धार्मिक स्थल पर अपना दावा छोड़ कर मिसाल पेश करनी चाहिए. अगर फैसला कोर्ट से होगा तो किसी एक पक्ष को हार स्वीकार करनी पड़ेगी. ऐसे हालात में हारा हुआ पक्ष अभी तो मान जाएगा, लेकिन कुछ समय बाद फिर बवाल शुरू होगा. जो समाज के लिए अच्छा नहीं होगा.'