अयोध्या मामले में 25 जुलाई से रोजाना सुनवाई होगी कि नहीं ये सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को तय करेगा. इस विवादित मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई मध्यस्थता कमेटी की प्रगति रिपोर्ट गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ देखेगी.
बेंच अगर मीडिएशन प्रॉसेस से संतुष्ट नहीं हुई तो 25 जुलाई से रोजाना सुनवाई का ऐलान कर सकती है. अयोध्या मामले में आपसी रजामंदी से बात बनती नज़र आ रही है या नहीं ये बात मध्यस्थता कमिटी सुप्रीम कोर्ट को बताएगी.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस कलीफुल्ला की अध्यक्षता में मध्यस्थता कमेटी बनाकर इस मसले को बातचीत के ज़रिए आपसी सहमति से ही सुलझाने की पहल की थी.
पहले शुरुआत में कमेटी को दो महीने यानी 8 हफ्ते दिए गए. फिर ये अवधि अगले 13 हफ्तों यानी 15 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी गई. इसी बीच कोर्ट के गर्मी छुट्टी के बाद खुलते ही याचिकाकर्ता गोपाल सिंह विशारद ने कोर्ट से कहा कि समिति के नाम पर विवाद सुलझाने के आसार बेहद कम हैं क्योंकि इसमें तो सिर्फ समय बर्बाद हो रहा है. इसलिए कोर्ट कमेटी खत्म कर स्वयं सुनवाई कर इसे निपटाए.