देश के और हिस्सों में बेशक नरेंद्र मोदी की आंधी चली हो लेकिन तमिलनाडु ने लगातार दूसरी बार रुख के विपरीत जाकर वोट दिया. बीजेपी की इस दक्षिणी राज्य में सत्तारूढ़ AIADMK के साथ गठबंधन करने के बाद कोई दाल नहीं गल सकी. देश में तमिलनाडु के अलावा केरल ही ऐसा राज्य रहा जहां मोदी मैजिक बेअसर रहा.
तमिल मतदाताओं ने द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (डीएमके) की अगुआई वाले गठबंधन को जमकर वोट किया. इस गठबंधन में डीएमके के अलावा कांग्रेस, वीसीके, सीपीआई और सीपीएम के अलावा कुछ छोटी क्षेत्रीय पार्टियां भी शमिल थीं.
इंडिया टुडे- एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल सर्वे ने तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-डीएमके गठबंधन को बम्पर समर्थन की वजह से 34 से 38 सीट मिलने का अनुमान जताया था. इस गठबंधन को राज्य की 39 लोकसभा सीटों में से एक को छोड़कर सभी पर जीत मिली.
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ AIADMK को लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. 2014 में 37 लोकसभा सीट जीतने वाली AIADMK को इस बार महज एक ही सीट पर जीत मिल सकी. AIADMK का वोट शेयर 2014 के 44.92% के मुकाबले 2019 में गिरकर 18.48% रह गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जहां देश में हर जगह भारी समर्थन मिल रहा था वहीं तमिलनाडु में वो जहां भी प्रचार के लिए गए, वहां गोबैकमोदी हैशटैग ट्रेंड होने लगा.
तमिलनाडु में बीजेपी के साथ गठबंधन में AIADMK, PMK, DMDK और कुछ अन्य छोटी पार्टियां शामिल थीं. बीजेपी का वोटशेयर तमिलनाडु में 2014 में 5.56% था. ये वोटशेयर 2019 में घटकर 3.66% रह गया. बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन सभी को हार का सामना करना पड़ा.
एक्सिस माई इंडिया का डेटा दिखाता है कि तमिलनाडु में सभी वर्गों के अधिकतर वोटरों ने डीएमके-कांग्रेस गठबंधन पर भरोसा किया. कांग्रेस वाले गठबंधन को राज्य में कुल वोटों में से 53% वोट मिले. वहीं AIADMK-बीजेपी वाले गठबंधन को महज़ 30% वोट ही मिल सके. अन्य पार्टियों को 17% वोटरों के वोट मिले.
जातिवार डेटा को खंगालने से पता चलता है कि अल्पसंख्यकों से कांग्रेस गठबंधन को बम्पर समर्थन मिला. मुस्लिमों में 62% और ईसाइयों में 53% वोटरों ने कांग्रेस गठबंधन को वोट दिया. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तमिलनाडु में बहुत अहम समुदाय है. ओबीसी वोटरों में सिर्फ 32% ने ही बीजेपी गठबंधन को वोट दिया.
बीजेपी के गठबंधन में वन्नियार पार्टी PMK के शामिल होने के बावजूद वन्नियार वोटरों का उसे ज़्यादा समर्थन नहीं मिला. वन्नियार समुदाय में 39% वोटरों ने बीजेपी गठबंधन और 43% ने कांग्रेस गठबंधन को वोट दिया. अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वोटरों ने भी निर्णायक ढंग से कांग्रेस गठबंधन को वोट दिया.
पारिवारिक आय के हिसाब से देखा जाए सभी वर्गों से कांग्रेस गठबंधन को भरपूर समर्थन मिला. गरीबी रेखा से नीचे वाले वर्ग के 52% वोटरों ने कांग्रेस की न्याय योजना पर भरोसा करते हुए उसके गठबंधन को वोट किया. बीपीएल वर्ग के सिर्फ 32% वोटरों ने बीजेपी गठबंधन को वोट दिया. 30,000 रुपए से अधिक आय वाले वर्ग में से 30% ने ही बीजेपी गठबंधन को वोट किया.
50 वर्ष से ऊपर की आयु के वर्ग में से 57% ने कांग्रेस गठबंधन को वोट दिया. बीजेपी गठबंधन को 18-25 आयुवर्ग में 24% और 26-35 आयुवर्ग में 28% वोटरों का ही समर्थन मिल सका.
शैक्षणिक स्तर पर देखा जाए तो निरक्षर वोटर हो या शिक्षित, सभी वर्गों में से अधिकतर वोटरों ने कांग्रेस गठबंधन को वोट देना पसंद किया. सभी वर्गों में कांग्रेस गठबंदन को 50% से लेकर 54% तक वोट मिले. बीजेपी गठबंधन को निरक्षर वोटरों में से 34% और नौवीं तक पढ़े वर्ग में 29% वोटरों के वोट मिले.
पेशे के हिसाब से देखा जाए तो कांग्रेस गठबंधन को बेरोजगार वोटरों में से 53% और मजदूर वर्ग से 56% वोटरों के वोट मिले. प्रोफेशनल वर्ग में बीजेपी को सिर्फ 29% और किसान वर्ग में से 32% वोटरों के ही वोट मिले.
कावेरी जल ट्रिब्यूनल के फैसले को लागू करने में अधिक विलंब ने भी बीजेपी गठबंधन की तमिलनाडु में संभावनाओं को पलीता लगाने में योगदान दिया. डेल्टा क्षेत्र में इससे सर्वाधिक प्रभावित होने वाले किसानों ने बीजेपी गठबंधन के खिलाफ वोट किया.
तमिलनाडु में पुरुष मतदाता हों या महिला मतदाता, सभी ने कांग्रेस गठबंधन पर भरोसा जताया. पुरुषों में 54% ने कांग्रेस गठबंधन और 29% ने बीजेपी गठबंधन के समर्थन में वोट किया. महिला मतदाताओं की बात की जाए तो 31% ने बीजेपी गठबंधन और 52% ने कांग्रेस गठबंधन को वोट किया.