एविएशन घोटाले की जांच की आंच अब पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम तक पहुंच गई है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में चिदंबरम को नोटिस भेजकर तलब किया है. प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में 43 विमानों की खरीद की गई थी, तब चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे.
इंडिया टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक ईडी ने समन भेजकर 23 अगस्त को चिदंबरम से जांच का सामना करने के लिए कहा है. विमान खरीद की फाइलों को चिदंबरम ही मंजूरी देते थे और यही कारण है कि जांच एजेंसी ने पूर्व वित्त मंत्री को भी इस केस की जांच के दायरे में लिया है.
इस मामले में ईडी ने पिछले वर्ष (2018) में ही जिस कंपनी से विमान खरीदे गए थे, उस कंपनी को भी नोटिस भेजा था. पिछले दिनों तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल से भी इस मामले में पूछताछ की गई थी. साथ बिचौलिए दीपक तलवार को भी हाल ही में गिरफ्तार किया गया था.
एयरबस इंडस्ट्री को लाभ पहुंचाने का आरोप
इस मामले में तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल पर एयरबस इंडस्ट्री को लाभ पहुंचाने का आरोप है. आरोपों के अनुसार पटेल के कार्यकाल में एयरबस को 175 मिलियन डॉलर का लाभ पहुंचाया गया. विमान खरीद में डील की शर्तों के उल्लंघन का भी आरोप है.
चिदंबरम की भूमिका भी जांच के दायरे में
विमान खरीद सौदे के दौरान पी. चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे. चिदंबरम ने वित्त मंत्री रहते हुए सौदे के लिए एफआईपीबी को मंजूरी दी थी. इसी कारण चिदंबरम की भूमिका जांच के दायरे में है. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने आरोपों को खारिज करते हुए केंद्र सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा दिया है. पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि पिछले पिछले 5 साल से मोदी सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है और वह राज ठाकरे के साथ हो या चिदंबरम के साथ, इसमें कोई नहीं बात नहीं है.
बता दें कि ईडी ने पूर्व मंत्री प्रफुल्ल पटेल से 10, 11 और 17 जून को घंटों तक पूछताछ की थी. एयरसेल-मैक्सिस डील में पहले ही जांच का सामना कर रहे है चिदंबरम को तलब किए जाने से इस मुद्दे को लेकर हलचल बढ़ गई है. चिदंबरम की गिनती मनमोहन कैबिनेट के ताकतवर मंत्रियों में होती थी. वह यूपीए शासनकाल में वित्त के अलावा गृह मंत्री भी रहे थे.