गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए आसियान देशों के प्रमुख भारत पहुंच चुके हैं. कई नेताओं संग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय वार्ता भी होगी. इसके अलावा भी भारत-आसियान देशों की संयुक्त वार्ता होगी. भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और चीन को काउंटर करने के लिहाज़ से यह बैठक काफी महत्वपूर्ण बताई जा रही है. इन देशों के साथ कुछ अहम बिंदुओं पर बात होगी, जिनपर सभी की नज़रें रहेंगी. पढ़ें किस देश से किस मुद्दे पर होगी बात.
म्यांमार - हालिया दौर में म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों का मुद्दा काफी चर्चा में रहा है. भारत में भी कई हज़ारों रोहिंग्या मुस्लिम हैं. जिन्हें देश से बाहर भेजने की बात हो रही थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक रोहिंग्याओं को बाहर करने से मना किया था. म्यांमार की नेता आंग सान सू की भारत आई हुई हैं, ऐसे में इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बातचीत हो सकती है.
थाईलैंड - भारत-थाईलैंड-म्यांमार हाइवे दोनों देशों में बड़े प्रोजेक्ट में से एक है. इस मुद्दे के अलावा दोनों देशों में बड़े लेवल पर कारोबार होता है.
वियतनाम - चीन को साधने के लिए वियतनाम का साथ भारत के लिए काफी जरूरी है. चीन और वियतनाम के संबंध काफी समय से ठीक नहीं हैं. एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत वियतनाम भारत के लिए अहम साझेदार है.
लाओस - भारतीय सेना की एक टुकड़ी लाओस डिफेंस पर्सनल में ट्रेनिंग ले रही है.
सिंगापुर - मेक इन इंडिया में अहम हिस्सा, एक्ट ईस्ट पॉलिसी में अहम
मलेशिया - पिछले दिनों में कई गुना बढ़ा है कारोबार. आसियान देशों के साथ कारोबार में मलेशिया शीर्ष देशों में शामिल.
इंडोनेशिया - 2016-17 में सबसे ज्यादा कारोबार 17 बिलियन डॉलर
फिलीपींस - राष्ट्रपति रोद्रिगो के बिल्ड बिल्ड बिल्ड प्रोगाम के लिए भारतीय कंपनियों से निवेश की अपील की.
ब्रूनेई - मोदी की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का सपोर्ट किया
कंबोडिया - 27 जनवरी के बाद आधिकारिक दौरा
कारोबार के नजरिये से...
मलेशिया : 58 हज़ार करोड़ का कारोबार.
ब्रूनेई : 2.6 हज़ार करोड़ का कारोबार.
कंबोडिया : 806 करोड़
लाओस : 581 करोड़
इंडोनेशिया : 70 हजार करोड़
सिंगापुर : 62 हजार करोड़
म्यांमार : 8 हजार करोड़
थाईलैंड : 37 हजार करोड़
फिलीपींस : 8.1 हजार करोड़
वियतनाम : 32 हजार करोड़
क्या है आसियान?
8 अगस्त, 1967 को इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड ने साथ मिलकर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का समूह यानी आसियान का गठन किया था हालांकि तब इस बात का अनुमान नहीं था कि यह संस्था जल्द ही अपनी खास पहचान बना लेगी. अब तक आसियान के 31 शिखर सम्मेलन हो चुके हैं.
10 सदस्यों वाली इस संस्था का मुख्य मकसद दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में अर्थव्यवस्था, राजनीति, सुरक्षा, संस्कृति और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना था.
आसियान का दायरा 44 लाख स्क्वायर किमी में फैला है, जो क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया की 3 फीसदी एरिया कवर करता है. इस संगठन में 63 करोड़ से ज्यादा की आबादी रहती है.
जीडीपी के लिहाज से 2014 में यहां की जीडीपी औसतन 7.6 ट्रीलियन डॉलर है. भारत और आसियान को मिलाकर देखा जाए तो दोनों क्षेत्रों में 180 करोड़ की आबादी रहती है. संयुक्त रुप से जीडीपी 2.8 ट्रिलियन डॉलर हो जाती है.
यह सही है कि आसियान एक विकासशील देशों का गुट है लेकिन आज गैर-सदस्य अमेरिका, चीन और जापान जैसे संपन्न देश इसमें खासी रुचि रखते हैं. वहीं भारत भी इसका सदस्य नहीं होने के बावजूद आसियान के साथ लगातार बेहतर संबंध बनाए रखने की कोशिश में जुटा है.