अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की शक्ति को लेकर शुक्रवार को गंभीर सवाल किए. कोर्ट ने पूछा कि क्या एक राज्यपाल सिर्फ 'एक्साइटमेंट' के लिए विधानसभा की कार्यवाही बुला सकता है? अदालत ने यह सवाल तब किया जब राज्य के कांग्रेस विधायकों की ओर से बहस कर रहे वकीलों ने कहा कि राज्यपाल को सदन की कार्यवाही बुलाने का हक है.
गौरतलब है कि इससे पहले राजनीतिक संकट से जूझ रहे अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने से उठे मुद्दों पर सोमवार को अदालत ने बड़ा कदम उठाया. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ‘गलती’ स्वीकार करते हुए प्रदेश के राज्यपाल जेपी राजखोवा को जारी अपना नोटिस वापस ले लिया.
वहीं, गुरुवार को कोर्ट ने वकीलों की बहस के बीच सवाल किया, 'आप अधिकारों की बात कर रहे हैं. यह बताइए कि क्या एक राज्यपाल सिर्फ एक्साइटमेंट के लिए विधानसभा की कार्यवाही बुला सकता है?'
जस्टिस जेएस खेहड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने न्यायिक कार्यवाही में राज्यपाल को ‘पूरी तरह से छूट’ प्राप्त होने संबंधी न्यायालय के पहले के फैसले और कानूनी स्थिति पर विचार के बाद कहा, ‘यह (नोटिस जारी करना) हमारी गलती है.’ इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही सोमवार को अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कानूनी स्थिति का जिक्र करते हुए शीर्ष अदालत के 2006 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें व्यवस्था दी गई थी कि राज्यपालों को कानूनी कार्यवाही में शामिल होने के लिए नहीं कहा जा सकता है.