28 मई को देश के 3 राज्यों की 4 लोकसभा सीटों पर चुनाव होना है. ये हैं महाराष्ट्र की भंडारा, गोंदिया और पालघर, उत्तर प्रदेश की कैराना और नगालैंड की एक मात्र लोकसभा सीट नगालैंड. इस बार के उपचुनाव में बीजेपी और विपक्षी दल अपनी पूरी ताकत लगा देंगे क्योंकि 2019 लोकसभा चुनाव में वो जीत के साथ जाना चाहेंगे.
बीजेपी के सामने कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन
महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया सीट से 2014 में बीजेपी के नानाभाउ फाल्गुनराव पटोले ने एनसीपी के प्रफुल पटेल को लगभग 1.5 लाख वोटों से हराया था. इस सीट को 2014 से पहले तक प्रफुल्ल पटेल की सीट के तौर पर देखा जाता था लेकिन मोदी लहर में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. तो वहीं पालघर से बीजेपी के चिंतामण नवाशा वंगा ने बहुजन विकास अघाड़ी के बलिराम सुकुर जाधव को दो लाख से ज्यादा मतों से हराया था. बता दें कि भंडारा-गोंदिया सीट पटोले के इस्तीफा देने और पालघर सीट सांसद वंगा की मृत्यु की वजह से खाली हुई है. इन सीटों पर बीजेपी को कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन का सामना करना होगा.
कैराना में बीजेपी का मुकाबला रालोद से
बात उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट की करें तो ये काफी चर्चा में है. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हुकुम सिंह ने समाजवादी पार्टी के नाहिद हसन को 2 लाख से ज्यादा वोटों से मात दी थी. हुकुम सिंह के निधन के बाद यहां चुनाव कराया जा रहा है. प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में हाल में मिली हार के बाद बीजेपी यहां से किसी भी सूरत में जीतने की कोशिश कर रही है. उसने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को उम्मीदवार बनाया है ताकि कुछ सहानुभूति के वोट भी उसे मिल सकें तो वहीं राष्ट्रीय लोक दल की तबस्सुम हसन उनके खिलाफ विपक्ष की उम्मीदवार होंगी. बता दें कि समजवादी पार्टी आरएलडी को समर्थन दे रही है तो वहीं कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नहीं उतरा है जिससे इन दोनों में कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है.
नगालैंड में पार्टियों नहीं गठबंधनों की टक्कर
अब बात करें नगालैंड सीट की तो पिछले चुनाव में एनपीएफ के नेफ्यू रियो ने कांग्रेस उम्मीदवार के.वी. पूसा को करीब 4 लाख वोटों से हराया था. नेफ्यू रियो के इस्तीफे से नगालैंड राज्य से यह इकलौती लोकसभा सीट खाली हुई थी. रियो अब प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हैं. एनडीपीपी के नेतृत्व वाले सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) ने येपथोमी को इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है तो वहीं सी अशोक जामिर एनपीएफ की ओर से उम्मीदवार होंगे. बता दें कि बीजेपी भी पीडीए का हिस्सा है.
मई 2014 लोकसभा चुनाव में 282 सीटें जीतकर आयी बीजेपी तब से हुए उपचुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने में नाकाम रही है जिससे वर्तमान में उसकी लोकसभा में सदस्यों की संख्या स्पीकर को छोड़ दें तो यह घटकर 270 हो गयी है जो कि बहुमत के आंकड़े के बराबर है. ऐसा नहीं है कि इससे मोदी सरकार पर किसी तरह का खतरा है क्योंकि एनडीए के दूसरे सहयोगी दल उसके साथ हैं. इन उपचुनावों में बीजेपी की हार की वजह या तो एंटी-इंकम्बेंसी है या फिर विपक्षी दलों का एक जुट होना. आइये जानते हैं पिछले चार वर्षों में समय-समय पर हुए लोकसभा उपचुनावों में कैसे बीजेपी का प्रदर्शन गिरता जा रहा है.
