भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के बाद भी बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का ट्रेनिंग कैंप सलामत दिख रहा है. वहीं देश के अंदर मारे गए आतंकियों की संख्या को लेकर भी राजनीति हो रही है. इन सबके बीच 'आजतक' के खास कार्यक्रम 'सुरक्षा सभा' में पूर्व एयर चीफ मार्शल ए वाई टिपनिस ने समझाया कि क्यों बालाकोट में जैश का ढांचा सलामत दिख रहा है.
ए वाई टिपनिस ने कहा कि सैटेलाइट के द्वारा ली गई तस्वीर में बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद का ट्रेनिंग कैंप दिख रहा है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आतंकियों को नुकसान नहीं पहुंचा है. आतंकियों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है. क्योंकि लड़ाकू विमान मिराज-2000 के जरिये जो स्पाइस-2000 बम दागे गए वो सही टागरेट पर जाकर लगा है.
उन्होंने बताया कि इजरायली स्पाइस-2000 बम बेहद हाईटेक है और यह बम बाहरी स्तर के मुकाबले अंदरूनी स्तह पर ज्यादा तबाही मचाती है. ये मिराज-2000 के स्पेशल कंप्यूटर द्वारा ऑपरेट किया जाता है. इसकी ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये 10 फीट मोटी दीवार में सुराग करके टारगेट तक पहुंच जाता है. इसलिए बालाकोट में जैश की बिल्डिंग खड़ी दिख रही है, लेकिन हकीकत में बम दीवारों में सुराग करके अंदर तबाही मचाई है.
पूर्व एयर चीफ की मानें तो टारगेट तक पहुंचने के बाद स्पाइस-2000 बम के आगे कोई भी नहीं बच सकता है. इसलिए उस दिन बिल्डिंग के अंदर में जो भी होगा उसका वो दिन आखिरी दिन साबित हुआ होगा. अब तस्वीर में जैश के ठिकाना खड़ा दिख रहा है, लेकिन उसकी दीवारों पर सुराग को देखकर अंजाम का अंदाजा लगाया जा सकता है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि वायुसेना में हमेशा सटीक जानकारी के बाद ही टागरेट तक पहुंचने के लिए रणनीति बनाई जाती है. इसलिए यह तो साफ है कि जिस मकान पर हमला किया गया वो आतंकी ट्रेनिंग कैंप था, लेकिन हमले के कुछ घंटे पहले अगर आतंकी अपना ठिकाना बदल लें तो फिर बच सकते हैं. क्योंकि आतंकी हमेशा ठिकाने बदलते रहते हैं.
उन्होंने कहा कि बालाकोट में आतंकी कैंपों पर कार्रवाई के लिए 12 मिराज के बदले 12 राफेल गए होते तो पाकिस्तान में हाहाकार मच जाता. उन्होंने कहा कि आज राफेल की सख्त जरूरत है. और एक दो नहीं, पूरे 36 एक साथ वायुसेना को चाहिए.