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चीन के खिलाफ नहीं भारत-अमेरिका संबंध: अमेरिका

अमेरिका के सहायक विदेशमंत्री रॉबर्ट ब्लेक ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंधों को पहले से ज्यादा मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा की उत्सुकता, एशिया पर चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने का प्रयास नहीं है.

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अमेरिका के सहायक विदेशमंत्री रॉबर्ट ब्लेक ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंधों को पहले से ज्यादा मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा की उत्सुकता, एशिया पर चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने का प्रयास नहीं है.

दक्षिण और मध्य एशिया के प्रभारी रॉबर्ट ब्लेक ने कहा,‘मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रपति बराक ओबामा की तीन दिवसीय भारत यात्रा के दौरान आपने किसी को यह बात कहते सुना होगा कि हम चीन के बढ़ते प्रभाव को किसी तरह संतुलित करना चाह रहे हैं.’

उन्होंने कहा,‘राष्ट्रपति ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि हम भारत की तरह चीन के साथ भी सकारात्मक, परस्पर सहयोगी और रचनात्मक संबंध चाहते हैं.’ ब्लेक ने जोर देकर कहा कि ओबामा की यात्रा अंतरराष्ट्रीय और एशियाई संस्थाओं में भारत की बढ़ती भूमिका तथा महत्ता के समर्थन के लिए थी लेकिन यह समर्थन चीन की कीमत पर नहीं है.

संबंधी विदेशमंत्री हिलेरी क्लिंटन के हालिया बयान का उल्लेख करते हुए सहायक विदेश मंत्री रॉबर्ट ब्लेक ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह इस बारे में ज्यादा है कि इन अंतरराष्ट्रीय और कुछ एशियाई संस्थाओं में भारत की भूमिका किस तरह बढ़ाई जाए. हमने इसके लिए अपना समर्थन स्पष्ट रूप से जाहिर किया. लेकिन इस बढ़ती भूमिका को हम चीन की कीमत पर नहीं देखते.’

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उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जब समर्थन किया तो अमेरिकी मीडिया ने इसे चीन के प्रभाव को संतुलित करने का प्रयास बताया.

असैन्य परमाणु करार के लिए पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश की भारत यात्रा का उल्लेख करते हुए ब्लेक ने जोर देकर कहा कि इसके बाद ओबामा की यात्रा से दोनों देश ‘ज्यादा परिपक्व’ संबंधों के दौर में प्रवेश कर रहे हैं.

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