केंद्र सरकार ने बाबा रामदेव के खिलाफ की गई कार्रवाई को जायज ठहराते हुए उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं.
केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने रविवार सुबह मीडिया से मुखातिब होकर रामदेव के खिलाफ हुई कार्रवाई को उचित ठहराते हुए कहा कि योगगुरु ने शासन के साथ समझौता हो जाने के बावजूद अनशन समाप्त करने के अपने वादे को पूरा नहीं किया.
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, ' हमने उनकी सारी मांगें मान ली थीं. रामदेव की सभी बातें माने जाने के बावजूद उन्होंने वादा पूरा नहीं किया.'
उन्होंने रामदेव पर आरोप लगाया कि योग गुरु ने न सिर्फ सरकार के साथ वादाखिलाफी की, बल्कि समझौते के बारे में अपने समर्थकों तक को नहीं बताया. उन्होंने कहा कि रामदेव से बातचीत में यह तय हो गया था कि वे शनिवार दोपहर तक अपना अनशन समाप्त करने की घोषणा करेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
कपिल सिब्बल ने कहा कि रामदेव ने शाम चार बजे तक भी कोई जवाब नहीं दिया, जिसके बाद हमने उन्हें समझौते का पत्र सार्वजनिक करने की बात के बारे में बताया और पत्र को मीडिया के सामने रखा.
यह पूछे जाने पर कि क्या रामदेव का आंदोलन ' आरएसएस प्रायोजित ' था, सिब्बल ने कहा, ' अब इसमें कोई शक नहीं रह गया है. वे संघ का दूसरा चेहरा हैं. '
आधी रात को रामलीला मैदान पर हुई पुलिस कार्रवाई को जायज ठहराते हुए उन्होंने कहा कि योगगुरु राजनीतिक आसन करने लगे थे और उन्होंने योग शिविर को राजनीतिक शिविर में बदल दिया था.
कपिल सिब्बल ने कहा कि रामदेव ने प्रशासन से योग शिविर चलाने की अनुमति मांगी थी और सिर्फ पांच हजार लोगों के वहां इकट्ठा होने की बात कही थी, लेकिन रामदेव ने न सिर्फ योग शिविर को राजनीतिक शिविर में बदल दिया, बल्कि रामलीला मैदान पर 50,000 लोगों को इकट्ठा भी कर लिया.