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देश में बाघों की संख्या बढ़कर 1,706 हुई

देश में बाघ संरक्षण की कोशिशों ने सकारात्मक नतीजे दिये हैं. बाघों की नयी गणना के मुताबिक अब देश में इस वन्यजीव प्रजाति की संख्या 1,411 के चिंतित कर देने वाले आंकड़ों को पीछे छोड़ते हुए 1,706 हो गयी है.

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देश में बाघ संरक्षण की कोशिशों ने सकारात्मक नतीजे दिये हैं. बाघों की नयी गणना के मुताबिक अब देश में इस वन्यजीव प्रजाति की संख्या 1,411 के चिंतित कर देने वाले आंकड़ों को पीछे छोड़ते हुए 1,706 हो गयी है.

नौ करोड़ रुपये की लागत और 4.70 लाख वन कर्मियों की मेहनत से दिसम्बर 2009 से दिसम्बर 2010 के बीच देश के 45,000 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में हुई इस कवायद के बाद सामने आये आंकड़े उत्साहित कर देने वाले हैं.

बाघ गणना-2010 को विश्व का अब तक का सबसे व्यापक और अत्याधुनिक-वैज्ञानिक तरीके से हुआ बाघ आकलन करार देते हुए पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयराम रमेश ने यहां कहा कि बाघ संरक्षण के क्षेत्र में बीते चार वर्ष में देश भर में अच्छा काम हुआ है. इसी के नतीजतन अब देश में बाघों की संख्या बढ़कर 1,706 हो गयी है.

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उन्होंने कहा कि लेकिन सुंदरबन में पिछली बार बाघों की गणना नहीं की गयी थी जहां इस बार 70 बाघों की मौजूदगी का पता चला है. लिहाजा, अगर आपको वर्ष 2006 की गणना के आंकड़ों से तुलना करनी हो तो अब बाघों की संख्या 1,636 है. इस तरह पिछले चार वर्ष में बाघों की संख्या में 12 फीसदी का इजाफा हुआ है.

ताजा गणना के अनुसार, देश में अब 1,571 से 1,875 के बीच बाघ हैं. इसका औसत अनुमानित आंकड़ा 1,706 लिया गया है. बाघों की पिछली गणना वर्ष 2006 में हुई थी. उसमें खुलासा हुआ था कि देश में महज 1,411 बाघ ही शेष रह गये हैं. वर्ष 2006 की गणना में बाघों की संख्या में 50 फीसदी की गिरावट देखी गयी थी क्योंकि वर्ष 2002 में बाघों की संख्या 3,642 थी.

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