भारत-बांग्लादेश के बीच 1996 में हुए गंगा जल बंटवारा संधि को लेकर बिहार के हितों की अनदेखी के मामले में राजद ने आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर गलतबयानी का आरोप लगाया.
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राजद सांसद जगदानंद सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘गंगा जल बंटवारा संधि के संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गलतबयानी कर रहे हैं. 1996 में तत्कालीन बिहार सरकार ने संधि से पहले और बाद में दोनों बार विरोध किया था.’ उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि 1996 में केंद्र की तत्कालीन संयुक्त मोर्चा सरकार ने बांग्लादेश के साथ जो गंगा जल बंटवारे की संधि की थी, उससे बिहार के हितों का नुकसान हुआ है और सूबे की तत्कालीन सरकार (लालू सरकार) ने इसका विरोध नहीं किया था.
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इस विषय पर पलटवार करते हुए 1996 में बिहार के जल संसाधन मंत्री रहे सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार सरासर गलत बयान दे रहे हैं. बिहार सरकार ने संधि के बारे में विरोध दर्ज कराया था और यह दस्तावेज में दर्ज है. नीतीश कुमार को दस्तावेज देखना चाहिए.
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जगदानंद सिंह ने कहा कि बिहार सरकार गंगा के बेसिन क्षेत्र को लेकर संधि से पहले से ही चिंतित है. बिहार ने 1991 में द्वितीय सिंचाई आयोग का गठन कर दिया और 1994 में उसकी रिपोर्ट आयी. सिंह ने कहा कि गंगा जल बंटवारा संधि के पहले सरकार ने तत्कालीन जनता दल के सांसदों और अन्य दलों को पत्र लिखकर बताया था कि बांग्लादेश के साथ गंगा जल समझौता से किस प्रकार बिहार के हितों का नुकसान होने वाला है लेकिन उस समय राष्ट्र का अहित बताकर चुप कराने की कोशिश की गयी थी.
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राजद के वरिष्ठ नेता ने कहा कि बिहार सरकार के प्रतिवाद के कारण ही भारत सरकार ने वायदा किया कि गंगा जल बंटवारा संधि को लेकर बिहार के हितों को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा.
भारत सरकार को पत्र लिखने के बाद केंद्रीय जल आयोग, गंगा बाढ नियंत्रण आयोग और केंद्रीय जल संसाधन आयोग ने बैठक की और आश्वासन दिया कि राज्य के हितों की अनदेखी नहीं होगी.
उन्होंने नीतीश सरकार पर अकर्मण्यता का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अपनी बात केंद्र के समक्ष ठीक से नहीं रख पा रही है. राज्य सरकार को अनुभवी लोगों से मदद लेनी चाहिए.