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नरेंद्र मोदी की अपील, बिटिया के जन्म पर लगाएं पौधे

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील की है कि वे अपने घर में बिटिया के आगमन पर कम से कम पांच पौधे लगाएं. इसके अलावा मोदी ने पानी की कमी से जूझ रहे इलाके के लोगों को इन पौधों के लिए पानी की व्यवस्था करने से जुड़े कई गुर भी दिए हैं.

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील की है कि वे अपने घर में बिटिया के आगमन पर कम से कम पांच पौधे लगाएं. इसके अलावा मोदी ने पानी की कमी से जूझ रहे इलाके के लोगों को इन पौधों के लिए पानी की व्यवस्था करने से जुड़े कई गुर भी दिए हैं.

मोदी ने ट्विटर पर लिखा है कि बिटिया के जन्म का समारोह मनाने के तौर पर कम से कम पांच पौधे जरूर लगाएं. ये पौधे आपकी बिटिया के विवाह के लिए कोष जुटाने में मदद करेंगे. इस ट्वीट पर मिली टिप्पणियों के संबंध में मोदी ने अपने ब्लॉग पर लिखा है, कि मुझे यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि लोगों ने बिटिया के जन्म पर पौधे लगाने की मेरी सलाह की काफी प्रशंसा की.

पर्यावरण बचाने में आपकी रुचि का मैं स्वागत करता हूं. इसके बाद मोदी ने लोगों को सबसे कीमती प्राकृतिक संसाधन ‘पानी’ बचाने के लिये गुजरात में इस्तेमाल किए जाने वाले कई गुर भी बताए हैं.

मोदी ने लिखा है कि एक मटका लेकर इसे जमीन के अंदर ऐसे गाड़ दीजिये कि यह पौधे या छोटे पेड़ों की जड़ों के समानांतर रहे. इसमें पानी भरिए, ढक्कन से ढक दीजिए और उस जगह को मिट्टी से ढक दीजिए. आपको लगभग एक सप्ताह तक पौधे में दोबारा पानी देने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह मटका सिंचाई के लिए प्राकृतिक साधन का काम करेगा.

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गुजरात के मुख्यमंत्री के मुताबिक, प्रदेश के कई हिस्सों में सिंचाई के लिए इस्तेमाल हो रहे इस तरीके का पालन करते समय मटके में छेद करने की जरूरत नहीं है. मोदी के मुताबिक, ‘अगर आपको और बेहतर परिणामों की जरूरत है, तो मटके में बर्तन धोने के बाद बचने वाला पानी भरिए.’

उन्होंने गुजरात के वेरावल इलाके के एक गांव की घटना का विवरण देते हुए लिखा है, ‘सौराष्ट्र के वेरावल के एक गांव के एक व्यक्ति ने मुझे इस बारे में पत्र लिखकर बताया. पानी की बहुत ज्यादा कमी से जूझ रहे इस इलाके के एक स्कूल के एक शिक्षक ने बढ़ते हुए पौधों से जुड़ा एक प्रयोग किया.’ मोदी के अनुसार, शिक्षक ने हर बच्चे को अपने घर से एक बोतल में बर्तन धोने के बाद बचा पानी लाने को कहा. यह पानी पौधों में दिया जाने लगा.

उन्होंने लिखा है, ‘कुछ दिनों बाद उस स्कूल के बच्चों और शिक्षकों के प्रयासों की बदौलत वहां एक भरा-पूरा बगीचा बन गया. एक शिक्षक के प्रयास ने एक सूखे और बंजर इलाके को हरित प्रदेश बना दिया, वह भी बचे हुए पानी से. मुझे इस घटना ने अभिभूत कर दिया.’

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