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अमेरिका भेजा गया था गुप्‍त संदेश: पाक सैन्‍य प्रमुख

पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा है कि एक गुप्त संदेश अमेरिका भेजे जाने की बात सही है, और यह सेना का मनोबल गिराने की कोशिश थी.

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पाकिस्तान
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पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा है कि एक गुप्त संदेश अमेरिका भेजे जाने की बात सही है, और यह सेना का मनोबल गिराने की कोशिश थी. गुप्त संदेश में पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सैन्य तख्तापलट की आशंका जताई थी.

पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी व्यापारी, मंसूर एजाज ने उक्त गुप्त संदेश को उजागर किया था. इसके बाद अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक्कानी को इस्तीफा देना पड़ा था. तख्तापलट की अफवाह तब दोबारा जोरशोर से पैदा हुई, जब जरदारी इलाज कराने अचानक छह दिसम्बर को दुबई चले गए.

जियो न्यूज के अनुसार, कयानी ने सर्वोच्च न्यायालय में अपनी पेशी में कहा है कि उन्हें इंटर-सर्विसिस इंटेलिजेंस (आईएसआई) प्रमुख जनरल शुजा पाशा की मंसूर एजाज के साथ 24 अक्टूबर को हुई मुलाकात के बारे में जानकारी है और पाशा के अनुसार संदेश की प्रामाणिकता साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. आईएसआई प्रमुख पाशा ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि एजाज नौ से 11 मई के बीच हक्कानी के सम्पर्क में थे. कयानी ने कहा कि इससे पहले 28 अक्टूबर को विदेश मंत्रालय और राष्ट्रपति के प्रवक्ताओं ने ऐसे किसी गुप्त संदेश की बात से इंकार किया.

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कयानी ने कहा कि 13 नवम्बर को उन्होंने प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी से मुलाकात की और उनसे कहा कि संदेश की सामग्री बहुत संवेदनशील है और इस बारे में हर हाल में निर्णय लिया जाना चाहिए कि यह गुप्त संदेश असली है या नहीं.

कयानी ने इस बात पर जोर दिया था कि प्रधानमंत्री, हक्कानी को पाकिस्तान बुलाएं, ताकि वह इस मामले पर देश के नेतृत्व को जानकारी दे सकें. दो दिनों बाद कयानी ने राष्ट्रपति जरदारी से मुलाकात की थी. जरदारी ने उनसे कहा था कि हक्कानी को पाकिस्तान बुलाने का निर्णय लिया जा चुका है.

कयानी ने कहा कि 22 नवम्बर को उन्होंने एक बैठक में हिस्सा लिया था, जिसमें गिलानी, जरदारी और जनरल पाशा मौजूद थे. उस बैठक में गिलानी ने हक्कानी से इस्तीफा देने के लिए कहा और जांच के आदेश दिए.

कयानी ने कहा कि इस गुप्त संदेश के पीछे की परिस्थिति व तथ्यों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह संदेश सेना का मनोबल गिराने की कोशिश थी, लेकिन ऐसा न हो सका.

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