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कयानी ने पाक बलों के बारे में ‘दुष्प्रचार’ की निंदा की

पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल अशफाक कयानी ने इस आरोप को खारिज किया है कि अमेरिका-पाक संबंधों के बीच तनाव के केन्द्र में खुफिया एजेंसी आईएसआई का उग्रवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क के साथ सम्पर्क कायम रहना है.

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पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल अशफाक कयानी ने इस आरोप को खारिज किया है कि अमेरिका-पाक संबंधों के बीच तनाव के केन्द्र में खुफिया एजेंसी आईएसआई का उग्रवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क के साथ सम्पर्क कायम रहना है.

उन्होंने एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी द्वारा की गयी इस आशय की टिप्पणी को ‘दुष्प्रचार’ बताया. कयानी ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान की सेना का (उग्रवादियों के खिलाफ) चल रहा अभियान आतंकवाद को खत्म करने के हमारे देश के संकल्प का प्रतीक है.’

उन्होंने उग्रवादियों के खिलाफ ‘पाकिस्तान द्वारा अधिक प्रयास नहीं किये जाने’ तथा उनके बल में कार्रवाई को लेकर स्पष्टता की कमी के आरोप को 'दुष्प्रचार' बताया. कयानी का यह बयान अमेरिकी ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ एडमिरल माइक मुलेन के बयान के बाद आया है. वह बुधवार को पाकिस्तान की यात्रा पर थे.

उन्होंने उग्रवादी कमाण्डर जलालुद्दीन हक्कानी के नेतृत्व वाले हक्कानी गुट के साथ पाकिस्तानी सेना द्वारा संचालित आईएसआई के सम्पर्को का हवाला दिया था. हक्कानी गुट देश के उत्तरी वजीरिस्तान कबिलाई इलाके में सक्रिय है. मुलेन ने कहा था ‘यह जाहिर है कि आईएसआई का लम्बे समय से हक्कानी नेटवर्क के साथ संबंध हैं और मेरे दृष्टिकोण से हक्कानी नेटवर्क से निपटना अफगान समस्या के समाधान के लिये महत्वपूर्ण है. यह अहम है. मैं सोचता हूं कि यह रिश्तों में सर्वाधिक जटिल है.’

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उन्होंने डॉन अखबार से कहा, ‘हक्कानी अमेरिकीयों और गठबंधन के सहयोगियों की हत्या कर रहे लडाकों को मदद दे रहा है प्रशिक्षित कर रहा है और धन मुहैया करा रहा है. ऐसा न हो इसके लिये मैं जो कुछ कर सकता हूं वह मेरा दायित्व है.’ दैनिक के अनुसार मुलेन ने साफ किया कि समस्याग्रस्त द्विपक्षीय रिश्तों में हक्कानी नेटवर्क का आईएसआई से रिश्ते अहम है. मुलेने एक टेलीविजन चैनल को दिये साक्षात्कार में कहा कि आईएसआई के तत्वों के पूरी खुफिया एजेंसी के नहीं हक्कानी नेटवर्क के साथ सम्पर्क हैं.

उन्होंने कहा ‘आईएसआई का हक्कानी नेटवर्क के साथ लम्बे समय से रिश्ते रहे हैं. इसका यह मतलब यह नहीं है कि आईएसआई में हर किसी के यह रिश्ते हैं लेकिन वहां हैं.’ मुलेन ने कहा कि आईएसआई का हक्कानी नेटवर्क के साथ संबंध अमेरिकी नेतृत्व को मान्य नहीं है.

मुलेन ने कहा कि आईएसआई का इस बारे में एक समृद्ध इतिहास रहा है कि अपने देश की रक्षा के लिये वह दुनिया के इस हिस्से में कैसे काम करती है. मैं समझता हूं कि कुछ पहलुओं पर लेकिन हम असहमत हैं और उसे दूर करना चाहते हैं. उल्लेखनीय है कि कबिलाई इलाके में हक्कानी नेटवर्क की मौजूदगी अमेरिकी.पाक रिश्तों में तनाव का कारण रही है.

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मुलेन की टिप्पणी कड़े अमेरिकी दृष्टिकोण का परिचायक है. मुलेन ने कहा कि स्थिति से पता लगता है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा दुनिया में आतंकवाद का केन्द्र है.’ आईएसआई पर 1980 के दशक में अफगानिस्तान में सोवियत बलों के खिलाफ अभियान के समय से हक्कानी नेटवर्क के साथ रिश्ते कायम रखने का आरोप है.

पाकिस्तान इस आरोप को खारिज करता रहा है और वह हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ उत्तरी वजीरिस्तान एजेंसी में सेना भेजने की अमेरिकी मांग को टालता रहा है. हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान के भीतर हमला नहीं करता बल्कि उत्तरी वजीरिस्तान को अफगानिस्तान में अमेरिकी और विदेशी सैनिकों के खिलाफ हमलों के लिये इस्तेमाल करता हैं.

विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तानी सेना चाहती है कि अमेरिकी सेना के हटने के बाद अफगानिस्तान में भावी राजनीतिक व्यवस्था में हक्कानी अपने प्रभाव का इस्तेमाल करे. कयानी ने इसबीच ड्रोन हमलों पर पाकिस्तान के रुख को दोहराते हुए कहा कि इससे आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्रीय प्रयासों पर असर पड़ रहा है और जनसमर्थन हमारे प्रयासों के खिलाफ जा रहा है जो कि सफलता के लिये जरूरी है. मुलेन ने लेकिन संकेत दिया कि जब तक आईएसआई हक्कानी से नाता नहीं तोड़ लेती तब तक शायद ड्रोन हमलों में कमी न आय.

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