scorecardresearch
 

विपक्ष में बैठना पसंद नहीं करतीं मायावती

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से चुनावी जंग हार चुकीं बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का राज्यसभा में जाना अप्रत्याशित नहीं है. मायावती अपने राजनीतिक इतिहास में कभी भी विपक्ष में नहीं बैठी हैं और सत्ता छिनते ही हमेशा दिल्ली का रुख करती हैं. मायावती में एक और खासियत है कि वह विधानमंडल में बतौर मुख्यमंत्री ही हाजिर हुई हैं.

Advertisement
X
मायावती
मायावती

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से चुनावी जंग हार चुकीं बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का राज्यसभा में जाना अप्रत्याशित नहीं है. मायावती अपने राजनीतिक इतिहास में कभी भी विपक्ष में नहीं बैठी हैं और सत्ता छिनते ही हमेशा दिल्ली का रुख करती हैं. मायावती में एक और खासियत है कि वह विधानमंडल में बतौर मुख्यमंत्री ही हाजिर हुई हैं.

मायावती एक अलग तरह की नेता हैं. उन्होंने अपनी लगभग डेढ़ दशक की राजनीति में विधायक या विधान परिषद के सदस्य की हैसियत से कभी भी विधानभवन में अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं कराई है और न ही विपक्ष की नेता की हैसियत से सदन के अंदर कोई मुद्दा उठाया है. पहली बार 3 जून 1995 को मुख्यमंत्री बनने के बाद से उन्होंने सिर्फ मुख्यमंत्री की हैसियत से ही सदन में प्रवेश किया है.

Advertisement

विधानसभा में बसपा विधायक दल के उपनेता और बांदा जनपद की सुरक्षित नरैनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए गयाचरन दिनकर ने बताया कि बहनजी ने लोकसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया है.

वहीं, लखनऊ में मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा के लिए अपना नामांकन दाखिल करने के बाद पत्रकारों से कहा कि वह बसपा नेताओं की इच्छा के सम्मान में राज्यसभा जा रही हैं पर यह सच नहीं है, जब भी बसपा प्रमुख के हाथ से सत्ता छिनी है, वह विधानसभा या विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देकर दिल्ली कूच कर गई हैं.

डॉ. राममनोहर लोहिया के साथी रहे बांदा के बुजुर्ग समाजवादी चिंतक जमुना प्रसाद बोस ने बताया कि मायावती को विपक्ष में बैठना पसंद नहीं है, वह सिर्फ मुख्यमंत्री ही बने रहने के लिए राजनीति करती हैं.

वामपंथी विचारधारा से जुड़े बुजुर्ग अधिवक्ता रणवीर सिंह चौहान ने कहा कि मायावती पराजय या सत्ता छिनने के बाद हमेशा दिल्ली पलायन कर गई हैं जो किसी भी मायने में उचित प्रतीत नहीं होता. उन्हें विपक्ष की भी भूमिका निभाकर जनहित में संघर्ष करना चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि मायावती या उनकी पार्टी ने हमेशा सत्ता में रह कर ही जनांदोलन किया है, जबकि अन्य राजनीतिक दल विपक्ष में रह कर आंदोलन करते आए हैं.

Advertisement
Advertisement