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एफडीआई पर ममता को नहीं मना सके मनमोहन

बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के सरकार के फैसले पर तृणमूल कांग्रेस का समर्थन हासिल करने की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पहल भी काम नहीं आई.

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ममता बनर्जी
ममता बनर्जी

बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के सरकार के फैसले पर तृणमूल कांग्रेस का समर्थन हासिल करने की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पहल भी काम नहीं आई. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को मनमोहन सिंह से कहा कि इस मुद्दे पर सरकार को समर्थन देना उनकी पार्टी के लिए एक 'समस्या' है. ममता ने यह भी कहा कि वह नहीं चाहतीं कि सरकार गिरे.

बनर्जी ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने मुझे शुक्रवार को फोन किया और मुझसे एफडीआई पर हमारे निर्णय पर दोबारा विचार करने के लिए कहा. मैंने उनसे कहा कि हम नहीं चाहते कि सरकार गिरे लेकिन एफडीआई के मुद्दे पर सरकार का समर्थन करना हमारे लिए एक समस्या है.'

उन्होंने कहा, 'हमारे राज्य के 50 प्रतिशत लोग खुदरा कारोबार पर आश्रित हैं. यहां तक कि अपने घोषणापत्र में हमने राज्य में एफडीआई का समर्थन नहीं करने की प्रतिबद्धता जताई है. हम अपने किसानों की एक उचित आजीविका सुनिश्चित करने के बाद ही इस बारे में सोच सकते हैं.'

ममता इसके पहले स्पष्ट कर चुकी हैं कि उनकी सरकार एफडीआई की अनुमति नहीं देगी. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि एफडीआई का समर्थन करना उनकी पार्टी की नीति के खिलाफ है.

ममता ने कहा, 'हमने यह भी कहा कि सरकार अपने फैसले पर दोबारा विचार करे और अपने फैसले को वापस ले. देश में यदि वित्तीय संकट है तो इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सभी राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे जा सकते हैं.'

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उन्होंने कहा, 'इसके पहले कई मौकों पर मैंने सरकार का समर्थन किया है लेकिन यह मुद्दा काफी संवेदनशील है और मैं लोगों के साथ खड़ा होने के लिए प्रतिबद्ध हूं.'

मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री के अनुरोध का सम्मान करती हूं लेकिन एफडीआई का समर्थन न करने का यह फैसला हमारा है. फिर भी प्रधानमंत्री के अनुरोध पर मैं बहुत हद तक इस बारे में अपने पार्टी के नेताओं से चर्चा कर सकती हूं.'

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की प्रमुख सहयोगी तृणमूल कांग्रेस ने एफडीआई के मुद्दे पर सरकार के निर्णय का कड़ा विरोध किया है. तृणमूल ने कहा है कि इस फैसले से किसानों और छोटे कारोबारियों के हितों का नुकसान होगा.

एफडीआई के फैसले पर तृणमूल कांग्रेस का समर्थन पाने में सरकार के अभी तक के प्रयास असफल हुए हैं. सरकार के इस फैसले का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वाम दल भी विरोध कर रहे हैं.

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