राजीव गांधी हत्या मामले में फांसी की सजा प्राप्त तीन दोषियों को अंतरिम राहत देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने आज उन्हें फांसी देने पर आठ हफ्ते के लिये रोक लगा दी.
राजीव, जिंदा होते तो दोषियों को बचाते: करुणानिधि
वहीं, तमिलनाडु विधानसभा ने अभूतपूर्व घटनाक्रम के तहत सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से उनकी दया याचिका पर फिर से विचार करने की अपील की.
राजीव हत्याकांड के इन दोषियों को नौ सितम्बर को फांसी पर लटकाया जाना था.
याचिका को मंजूरी देते हुए न्यायमूर्ति सी. नागप्पन और एम. सत्यनारायणन की पीठ ने केन्द्र, राज्य सरकार और पुलिस को नोटिस जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रपति से दया की गुहार वाली तीनों सजायाफ्ताओं की याचिका पर 11 वर्ष से ज्यादा समय का विलंब हुआ.
वेल्लोर जेल में बंद मुरुगन, सांथन और परारीवलन को राजीव गांधी हत्या मामले में दोषी करार दिया गया था और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी. 21 मई 1991 को श्रीपेरुंबुदुर में एक चुनावी रैली के दौरान लिट्टे के आत्मघाती बम हमलावर ने बम विस्फोट कर उनकी हत्या कर दी थी.
अदालत के अंतरिम आदेश के बाद दोषियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी ने संवाददाताओं से कहा, उच्च न्यायालय न्याय कर रहा है. निश्चिंत रहो. उन्होंने (अदालत ने) फांसी पर रोक लगा दी है.
तीनों दोषियों की तरफ से पेश जेठमलानी, कोलिन गोंजाल्विस और आर. वैगेई ने कहा कि उनकी दया याचिकाओं के निपटारे में काफी विलंब हुआ और यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन जीने और निजी स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है. उच्च न्यायालय का आदेश आने से ठीक पहले तमिलनाडु विधानसभा ने सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री जयललिता की ओर से पेश प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति से दया याचिका पर फिर से विचार करने को कहा जिसे उन्होंने इस महीने की शुरुआत में ठुकरा दिया था.
जयललिता ने एक दिन पहले ही विधानसभा में स्पष्ट किया था कि उनके पास क्षमा देने की शक्ति नहीं है. द्रमुक और कुछ अन्य दल पुरजोर तरीके से तीनों दोषियों को राहत देने के लिए अभियान चलाए हुए हैं.
जयललिता ने कहा कि राज्य के लोग इस तथ्य से दुखी हैं कि मृत्युदंड जल्द ही दिया जाना है.
उन्होंने कहा, कई राजनीतिक पार्टियों ने मुझसे मौत की सजा कम करने की अपील की और राज्य के लोगों की भावनाओं का आदर करते हुए मैं सदन के सदस्यों से अपील करती हूं कि सर्वसम्मति से प्रस्ताव को पास करें. तीनों दोषियों की रिहाई के लिए मजबूती से अभियान छेड़ने वाले एमडीएमके नेता वाइको ने अदालत के निर्णय का स्वागत किया.
लंदन में पढ़ने वालीं मुरूगन की बेटी हरिथरा ने कहा, मेरे लिए इसका (अंतरिम राहत) का अर्थ गहरा है. मैंने वीजा के लिए आवेदन किया है और 15 दिन में भारत पहुंचने की उम्मीद है.
खुर्शीद ने संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा, राज्य सरकार का प्रस्ताव किसी पर बाध्यकारी नहीं है. राज्य सरकार प्रस्ताव पारित करती है..मुझे पूरा विश्वास है कि जिस स्तर पर इसे गंभीरता से लेना चाहिए और इस पर विचार करना चाहिए, वहां ऐसा किया जाएगा. कई नेताओं और तमिल समर्थित कार्यकर्ताओं का कहना है कि तीनों दोषी जेल में 20 साल से अधिक की सजा काट चुके हैं और अब वे मृत्युदंड के हकदार नहीं हैं.
इन तीनों के अलावा मुरूगन से शादी करने वाली नलिनी को 1999 में मौत की सजा सुनाई गई थी. नलिनी के जेल में एक बच्ची को जन्म देने के बाद सोनिया गांधी के आग्रह पर उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था..