जम्मू एवं कश्मीर पर केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त तीन वार्ताकारों ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम को सौंप दी. वार्ताकारों ने अपनी रिपोर्ट में 'सार्थक स्वायत्तता' और तेज विकास के पक्ष में अपनी राय दी है. माना जाता है कि तीन वार्ताकारों पत्रकार दिलीप पडगांवकर, शिक्षाविद राधा कुमार और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एम.एम. अंसारी ने राज्य से सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (एएफएसपीए) और अशांत क्षेत्र अधिनियम को हटाने के लिए भी अनुशंसाएं की हैं.
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वार्ताकारों ने कहा कि बातचीत की प्रक्रिया में शामिल नहीं होकर अलगाववादियों ने ‘मौका गंवा दिया’ है. उन्होंने कहा कि यदि अलगाववादी वार्ता में शामिल होते तो उनकी रपट कहीं अधिक सार्थक होती.
अपनी अंतिम रपट केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम को सौंपने के बाद वार्ताकारों के दल में शामिल प्रख्यात पत्रकार दिलीप पडगांवकर ने कहा कि रपट में जम्मू-कश्मीर की जनता के कल्याण को केन्द्र में रखा गया है.
रपट के बारे में कोई जानकारी देने से इंकार करते हुए पडगांवकर ने दो अन्य वार्ताकारों राधा कुमार और एम एम अंसारी की मौजूदगी में कहा, ‘मैं किसी ऐसी चीज पर टिप्पणी नहीं करूंगा, जो रपट में शामिल है हालांकि मैं बताना चाहूंगा कि जहां तक सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून से लेकर अशांत क्षेत्र कानून और अन्य कानूनों से संबंधित सवाल हैं, राज्य की जनता ने हमसे इन सब चीजों के बारे में बात की है.’ उन्होंने कहा कि हमने पुलिस, अर्धसैनिक बलों और सेना के प्रमुखों से भी नियमित सलाह मशविरा कर उनका पक्ष सुना. ये सभी बातें हमारी रपट में प्रतिबिम्बित होंगी.
रपट में अलगाववादियों का पक्ष नहीं शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर पडगांवकर ने स्पष्ट किया कि हमने विभिन्न अलगाववादी गुटों के सार्वजनिक बयानों पर संज्ञान लिया है और रपट में उसका उल्लेख है. स्वाभाविक तौर पर यदि वे हमसे बात करते तो निश्चित तौर पर रपट और सार्थक होती.
उन्होंने कहा कि हमने लगातार अलगाववादियों से बातचीत की कोशिश की लेकिन उन्होंने हर बार इंकार कर दिया, ‘मुझे लगता है कि उन्होंने मौका खो दिया है.’
जेकेएलएफ के प्रमुख यासीन मलिक द्वारा रपट को बेकार कहे जाने के बारे में जिक्र करने पर पडगांवकर ने कटाक्ष किया, ‘श्रीमान मलिक के पास संभवत: ऐसे दस्तावेज हैं, जो और किसी के पास नहीं हैं.’ उन्होंने कहा कि जब रपट सार्वजनिक होगी तो हर कोई यह कहने के लिए स्वतंत्र होगा कि रपट में क्या होना चाहिए था. रपट के बारे में पडगांवकर ने कहा कि गृह मंत्री ने वार्ताकारों से कहा है कि सरकार हमारी सिफारिशों के आधार पर प्रक्रिया को आगे बढाएगी.
पडगांवकर ने कहा कि कश्मीर समस्या के राजनीतिक समाधान के लिए यह संभवत: जम्मू-कश्मीर के लोगों द्वारा व्यक्त की गयी अब तक की सबसे व्यापक राय है, जिसे रपट में शामिल किया गया है.
उन्होंने कहा कि रपट का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर की समस्या का स्थायी राजनीतिक समाधान खोजना है. राजनीतिक समाधान के अलावा रपट में अन्य कई मुद्दों को भी शामिल किया गया है, जिनका ताल्लुक सीधे सीधे राज्य की जनता से है. इसमें उनके आर्थिक हालात, सामाजिक स्थिति और सांस्कृतिक पहलू को शामिल किया गया है.
पडगांवकर ने कहा कि गृह मंत्री ने उनसे कहा है कि वह अब इस रपट को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के समक्ष पेश करेंगे, जो सितंबर 2010 में राज्य के दौरे पर गया था.
उन्होंने कहा, ‘हमने गृह मंत्री से आग्रह किया है कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से रपट पर चर्चा के बाद इसे सार्वजनिक किया जाए ताकि इस पर व्यापक रूप से पूरे देश में और विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में चर्चा हो सके.’
पडगांवकर ने कहा कि वार्ताकारों के दल ने चिदंबरम से पेशकश की है कि यदि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल चाहे तो वे उनके साथ रपट के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा में शामिल होने को तैयार हैं, ‘कुल मिलाकर हमारा उद्देश्य राज्य में स्थायी शांति, स्थिरता और खुशहाली कायम करना है.’ पडगांवकर ने कहा कि हमने एक साल के निर्धारित समय के भीतर अपनी रपट चिदंबरम को सौंपी है. हमने गृह मंत्री से कहा कि यह रपट जम्मू-कश्मीर के सभी 22 जिलों में 600 से अधिक प्रतिनिधिमंडलों, तीन गोलमेज बैठकों और दो जनसभाओं में मिली प्रतिक्रिया का नतीजा है.
उन्होंने कहा कि इस रपट में आम पुरुषों और महिलाओं की राय शामिल की गयी है और कश्मीर समस्या पर संभवत: अब तक इतनी व्यापक और सटीक रपट पेश नहीं की गयी होगी.
पडगांवकर ने कहा कि तय यह हुआ था कि वार्ताकारों का दल जम्मू-कश्मीर में विभिन्न वर्गों के लोगों, राजनीतिक दलों और अन्य संगठनों से अधिक से अधिक सलाह मशविरा करेगा और उनसे मिली राय के आधार पर अपनी सिफारिशें करेगा ताकि कश्मीर मुद्दे का व्यापक राजनीतिक समाधान निकल सके.
वार्ताकारों के दल ने 12 अक्तूबर 2010 को घाटी का पहला दौरा किया था. उसके बाद से यह दल वहां 12 बार गया और इस दौरान राज्य के सभी 22 जिलों के लोगों से बातचीत की.
इस दौरान वार्ताकारों ने राज्यपाल एन एन वोहरा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, पत्रकारों और छात्रों से मुलाकात की.