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खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर दहाई अंक में पहुंची

खाद्य मुद्रास्फीति आठ अक्तूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान उछल कर छह महीने के उच्चतम स्तर 10.60 फीसदी पर पहुंच गई. इस दौरन फल एवं सब्जियों की कीमत में भारी बढ़ोतरी हुई.

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खाद्य मुद्रास्फीति आठ अक्तूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान उछल कर छह महीने के उच्चतम स्तर 10.60 फीसदी पर पहुंच गई. इस दौरन फल एवं सब्जियों की कीमत में भारी बढ़ोतरी हुई.

खाद्य मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ाना कर्ज लेने वालों के अच्छा नहीं है क्योंकि इस आंकड़े का असर आरबीआई की अगले सप्ताह होने वाली ब्याज दर समीक्षा बैठक पर भी हो सकता है.

मांग पर अंकुश कीमतों में तेजी की प्रत्याशाओं पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय बैंक गत वर्ष मार्च से अब तक 12 बार में कुल मिला कर पौने चार प्रतिशत वृद्धि कर चुका है. थोकमूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति इससे पिछले सप्ताह 9.32 फीसदी पर थी. वर्ष 2010 की इसी अवधि में खाद्य मुद्रास्फीति 15.72 फीसदी थी.

आम आदमी को आलोच्य सप्ताह में एक साल पहले की तुलना में सब्जियों पर 17.59 फीसदी और खर्चना पड़ा जबकि फल इस अवधि में 12.39 फीसदी मंहगे हुए. दूध की कीमत वाषिर्क आधार पर 10.80 फीसदी और अंडे, मांस और मछली की कीमतें औसतन 14.10 फीसदी बढ़ी. इससे पहले खाद्य मुद्रास्फीति 16 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के दौरान इतने उच्च स्तर पर थी जबकि यह 11.25 फीसदी पर थी.

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पिछले कुछ दिनों में दालों और अनाजों कीमत कम थी लेकिन इस अवधि में इनकी कीमतों में क्रमश: 7.42 फीसदी और 4.73 फीसदी का इजाफा हुआ. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन ने खाद्य मुद्रास्फीति के ताजा आंकड़ों के बारे में कहा, ‘मैं इसके बारे में चिंतित हूं.’

क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी को यह रुझान तकलीफ देह लगा. उन्होंने कहा, ‘खाद्य मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी चिंताजनक है. आंकड़ों से स्पष्ट है कि सामान्य मानसून और अच्छी फसल के बावजूद खाद्य पदार्थों की कीमत कम नहीं हुई है.’

फाईबर, तिलहन और खनिजों समेत गैर-खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति समीक्षाधीन अवधि में 8.51 फीसदी थी जबकि एक अक्तूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान यह 9.59 फीसदी थी. ईंधन और बिजली क्षेत्र की मुद्रास्फीति समीक्षाधीन सप्ताह में 5.17 फीसदी थी जबकि इसके पिछले सप्ताह यह 15.10 फीसदी थी. विशेषज्ञों के मुताबिक खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी से सरकार और रिजर्व बैंक पर इस स्थिति से तेजी से निपटने के लिए दबाव पड़ेगा.

सकल मुद्रास्फीति इस साल सितंबर में यह 9.71 फीसदी पर थी. सर्वोच्च बैंक 25 अक्तूबर को मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही की समीक्षा की घोषणा करने वाला है और विशेषज्ञों ने कहा कि औद्योगिक वृद्धि में कमी के बावजूद ब्याज दरों में और बढ़ोतरी हो सकती है. जोशी ने कहा, ‘सकल मुद्रास्फीति दहाई अंक के करीब है और अब खाद्य मुद्रास्फीति भी मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर रही है इसलिए आरबीआई के पास ब्याज दरों में और बढ़ोतरी के अलावा कोई विकल्प नहीं है.’

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कुछ इसी तरह का विचार अन्य अर्थशास्त्रियों ने भी व्यक्त किया. आईएनजी वैश्य बैंक की अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा, ‘आरबीआई का स्पष्ट विचार है कि मुद्रास्फीति मुख्य चुनौती है.’ बुधवार को वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने ऊंची मुद्रास्फीति के लिए वैश्विक स्तर पर जिंसों की ऊंची कीमत और आपूर्ति की मुश्किलों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने हालांकि भरोसा जताया कि मुद्रास्फीति मार्च 2010 तक सात फीसदी के करीब होगी. रंगराजन ने भी कहा, ‘मैंने संभावना जताई है कि मुद्रास्फीति मार्च 2012 तक सात फीसदी रहेगी.’

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