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मार्च तक 7 फीसदी रह जायेगी मुद्रास्फीति: प्रणब

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची रहने की एक वजह इनकी आपूर्ति में आने वाली अड़चनें भी हैं. हालांकि, उन्होंने विश्वास जताया कि सकल मुद्रास्फीति दिसंबर से घटनी शुरू होगी और मार्च अंत तक यह सात प्रतिशत रह जायेगी.

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प्रणब मुखर्जी
प्रणब मुखर्जी

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची रहने की एक वजह इनकी आपूर्ति में आने वाली अड़चनें भी हैं. हालांकि, उन्होंने विश्वास जताया कि सकल मुद्रास्फीति दिसंबर से घटनी शुरू होगी और मार्च अंत तक यह सात प्रतिशत रह जायेगी.

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आर्थिक संपादकों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुये मुखर्जी ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति ऊंची रहने की एक वजह खाद्यान्नों की आपूर्ति बाधायें भी हैं.

उन्होंने कहा, ‘पिछले साल दालों के दाम काफी चढ़े थे, हमने दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिये 60,000 विशेष दलहन गांवों को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव किया था जिससे इसके उत्पादन में उल्लेखनीय सुधार आया था. हालांकि, इस वर्ष मुझे बताया गया है कि किसानों ने अपना रुख बदला है और इसमें गिरावट की आशंका है.’

उन्होंने कहा कि कई बार खाद्यान्नों की बेहतर आपूर्ति किसानों की रुचि पर भी निर्भर करती है. कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार खरीफ मौसम में खाद्यान्न उत्पादन 12 करोड़ 38 लाख टन रहने का अनुमान है जबकि एक साल पहले इसी मौसम में यह 12 करोड़ टन रहा था. कुल मिलाकर इस बार खरीफ उत्पादन 40 लाख टन अधिक रहने की उम्मीद है.

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मुखर्जी ने कहा कि हाल में मुद्रास्फीति दबाव बढ़ने की कई वजह रही हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपभोक्ता वस्तुओं के दाम बढ़ने और विकसित देशों के केन्द्रीय बैंकों की नकदी बढ़ाने की नीतियों से भी मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ा है. कुछ मौसमी प्रभाव भी रहे हैं जिनसे कीमतें बढ़ जाती हैं.

हालांकि, उन्होंने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति एक साल पहले फरवरी में 20 प्रतिशत तक चढ़ गई थी जो कि जून-जुलाई, 2011 में आठ प्रतिशत के दायरे में रही है. एक अक्तूबर को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 9.32 प्रतिशत रही, जबकि सितंबर माह की सकल मुद्रास्फीति 9.72 प्रतिशत रही है. पिछले सप्ताह और पिछले महीने की तुलना में इनमें मामूली गिरावट दर्ज की गई.

वित्त मंत्री ने कहा कि मुद्रास्फीति को अब गैर खाद्य उत्पादों से ज्यादा बढ़ावा मिल रहा है. कारखानों में आयातित महंगे उत्पादों से मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ा है. बहरहाल, उन्होंने उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक सकल मुद्रास्फीति घटकर सात प्रतिशत रह जायेगी. भारतीय रिजर्व बैंक का मुद्रास्फीति पर काबू पाने को लेकर विशेष जोर है. मार्च, 2010 से अब तक केन्द्रीय बैंक 12 बार नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि कर चुका है.

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