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भारत में अपने परिसर स्थापित करें अमेरिकी विश्वविद्यालय: सिब्बल

भारत और अमेरिका के मध्य अपनी तरह की पहली शिक्षा शिखर बैठक के बीच भारत के मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने अमेरिकी के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के भारत में अपने परिसर स्थापित करने का आग्रह किया और कहा कि इस गठजोड़ से बेहतर आर्थिक लाभ मिलेंगे.

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कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल

भारत और अमेरिका के मध्य अपनी तरह की पहली शिक्षा शिखर बैठक के बीच भारत के मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने अमेरिकी के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के भारत में अपने परिसर स्थापित करने का आग्रह किया और कहा कि इस गठजोड़ से बेहतर आर्थिक लाभ मिलेंगे.

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सिब्बल ने अमेरिका के उच्च शिक्षा संस्थानों के भारत के संस्थानों से गठजोड़ करने की जोरदार पैरवी करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा के शीर्ष अमेरिकी संस्थानों के लिये यह समय भारत में शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने, एक साथ काम करने, संस्थान की स्थापना करने और लोगों तक पहुंचने का है.

हालांकि उन्होंने माना कि भारत को भी अपनी ‘पहुंच’ बनानी होगी और देश में अमेरिकी संस्थानों के आने के लिये माहौल बनाना होगा.

सिब्बल ने यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि आपके पास उच्च शिक्षा ढांचा है जो ज्ञान को आगे बढ़ाने में आगे है. उन्होंने कहा कि अमेरिका के पास दुनिया के सबसे अच्छे शिक्षक हैं.

उन्होंने कहा कि आपके लिये यह समय पहुंच बनाने, हमारे साथ सहयोग करने का है क्योंकि जिस प्रक्रिया के तहत आप भाग लेंगे वह सिर्फ हमारी समस्याओं को ही नहीं विश्वभर की समस्याओं को सुलझाने में मदद करेगी.
दिनभर चलने वाले शिक्षा सम्मेलन की सह अध्यक्षता सिब्बल और अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन करेंगी जिसमें करीब 300 उच्च शैक्षणिक नेता, सरकारी और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे . सिब्बल ने कहा कि भारत में निवेश करना अमेरिका के लिये आर्थिक रूप से फायदेमंद है क्योंकि किसी अन्य देश में निवेश करने की अपेक्षा भारत में कहीं ज्यादा अवसर हैं.

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सिब्बल ने कहा, ‘‘आप का तरीका कि बच्चे अटलांटिक पार कर हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, या येल विश्वविद्यालय आयें, आर्थिक रूप से अच्छा व्यसायिक मॉडल नहीं है क्योंकि यह आपके प्रति डालर निवेश का बहुत कम रिटर्न देता है.’

मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा, ‘यही निवेश अगर भारत में भारतीय संस्थानों के साथ मिलकर किया जाये तो यह आपको बहुत ज्यादा रिटर्न देगा.’ सिब्बल ने कहा कि जहां अमेरिका में वर्तमान समय में एक लाख भारतीय पढ़ते हैं वहीं भारत में 20 करोड़ ऐसे बच्चे हैं जिन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत है.

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