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विकिलीक्स के अगले खुलासे को जानने का इच्छुक है भारत: कृष्णा

श्रीलंका से स्वदेश लौट रहे विदेशमंत्री एस एम कृष्णा ने आज कहा कि अमेरिकी गोपनीय दस्तावेजों को जारी करने के विकिलीक्स के अगले कदम से भारत वाकई चिंतित नहीं है लेकिन इन दस्तावेजों से होने वाले खुलासे को जानने के लिए जरूर इच्छुक है.

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श्रीलंका से स्वदेश लौट रहे विदेशमंत्री एस एम कृष्णा ने आज कहा कि अमेरिकी गोपनीय दस्तावेजों को जारी करने के विकिलीक्स के अगले कदम से भारत वाकई चिंतित नहीं है लेकिन इन दस्तावेजों से होने वाले खुलासे को जानने के लिए जरूर इच्छुक है.

यह पूछे जाने पर कि विकिलीक्स के मामले में क्या अमेरिकी सरकार भारत के सम्पर्क में है, कृष्णा ने कहा, ‘बीते तीन चार दिन हम अपने देश से बाहर रहे, इसलिए मुझे नहीं पता कि ऐसी कोई बात है या नहीं. खबरों में हमने पढ़ा कि विकिलीक्स जल्द और दस्तावेज जारी कर सकता है.’

उल्लेखनीय है कि शनिवार को ही अमेरिका ने भारत और दुनियाभर की अन्य प्रमुख सरकारों को विकिलीक्स के नये खुलासे के बारे में आगाह किया था जो अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और ‘मित्रों’ के साथ उसके संबंधों में तनाव पैदा कर सकते हैं.

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यह पूछे जाने पर कि क्या भारत इन नये दस्तावेजों की सामग्री के बारे में चिंतित है, कृष्णा ने कहा, ‘भारत सरकार वाकई चिंतित नहीं है. लेकिन हमारी यह जानने में रचि जरूर है कि इसमें क्या खुलासा होता है क्योंकि विकिलीक्स का कहना है कि वह चालीस लाख दस्तावेजों को वेबसाइट पर जारी करने वाला है. इसलिए हम इसे रोचकता से देखेंगे.’

मुंबई हमलों की साजिश रचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में पाकिस्तान के विलंब के बारे में पूछे जाने पर कृष्णा ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पाकिस्तान के खास संदर्भ में इस पूरे मामले पर बात रख चुके हैं.

कृष्णा ने कहा, ‘अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मौजूदगी में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जो कुछ कहा, मुझे लगता है कि यही वह दायरा है जिसके अंदर हम काम करते हैं.’ यह पूछे जाने पर कि क्या चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की आगामी भारत यात्रा के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के लिए स्थायी सीट का मुद्दा उठाया जाएगा, कृष्णा ने कहा कि इस मुद्दे पर बात होगी.

उन्होंने कहा, ‘चीनी नेता के साथ जब हम बहुपक्षीय मुद्दों पर विचार विमर्श करेंगे तो संयुक्त राष्ट्र में सुधारों, खासतौर पर सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट के लिए दावेदारी के मुद्दे पर विचार विमर्श होगा.’

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