भारतीय प्रौद्यागिकी संस्थान (आईआईटी) की प्रवेश परीक्षा को लेकर आईआईटी परिषद और सरकार के बीच बनी सहमति को, आईआईटी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए चर्चित संस्थान सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने जल्दी में लिया गया फैसला बताया है.
पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह फैसला गरीब विद्यार्थियों के विरुद्ध जाता है. शीर्ष पायदान पर रहे निजी विद्यालयों और सरकारी विद्यालयों के बीच एक बड़ी खाई है. कई अवसरों पर 12वीं के परिणाम में हेरफेर के कारण कई संस्थाएं फंस गई हैं, ऐसे में 20 छात्रों का चयन शेष छात्रों की 'हत्या' के समान है.
उन्होंने कहा कि जुलाई महीने में आया यह फैसला आईआईटी की तैयारी कर रहे छात्रों को हतोत्साहित करने जैसा फैसला है. वह कहते हैं कि अभी जो छात्र 12वीं में हैं, उनके लिए 12वीं का परिणाम भी महत्वपूर्ण हो गया है.
आनंद का मानना है कि आईआईटी परिषद को यह निर्णय कम से कम वर्ष 2014 से लागू करना चाहिए था, जिससे छात्रों को तैयारी के लिए कुछ समय मिल जाता. उन्होंने कहा कि ग्रामीण विद्यालयों में अब भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है तथा शिक्षकों की गुणवता में कमी है. ऐसे में वहां के छात्रों को आईआईटी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करना आसान नहीं होगा.
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के बोर्डों के परिणाम हमेशा छात्रों की प्रतिभा को प्रतिबिम्बित नहीं करता है. अगर निजी, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा प्रणाली एक समान हो तो यह फैसला समझ में आ सकता था परंतु देश में दुर्भाग्य से ऐसा नहीं है.
उल्लेखनीय है कि नए प्रारूप के मुताबिक वर्ष 2013 से आईआईटी की प्रवेश परीक्षा के लिए एक एडवांस परीक्षा आयोजित की जाएगी, जिसमें प्राप्त रैंक के आधार पर दाखिला दिया जाएगा. शर्त होगी कि चुने गए छात्र अपने बोर्डों के सफल छात्रों की सूची में शीर्ष 20 में आते हों.