समझौता विस्फोट मामले के आरोपी स्वामी असीमानंद ने दावा किया कि वह इस घटना में शामिल नहीं था और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के दबाव में उसे अपनी संलिप्तता स्वीकार करनी पड़ी थी.
एक विशेष अदालत के बाहर असीमानंद ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया, ‘‘मुझ पर एनआईए ने दबाव बनाया कि इस मामले में मैं अपनी संलिप्तता स्वीकार करूं. मैं इस मामले में शामिल नहीं था. मेरे खिलाफ सबूत के साथ भी एनआईए ने छेड़छाड़ की.’’ इससे पहले विशेष अदालत ने एनआईए की ओर से दायर आरोपपत्र पर अगली सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की है.
मामले की सुनवाई के दौरान एनआईए ने मामले से जुड़े ‘अपूर्ण दस्तावेज’ जमा करते हुए कहा कि वह जल्दी ही कुछ और आरोपियों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दायर करेगी. बचाव पक्ष के वकील मानवीर राठी ने बताया कि एनआईए ने अदालत से थोड़ा समय मांगा, ताकि वह मामले में पूरक आरोपपत्र दायर कर सके.
एनआईए ने 20 जून को इस मामले में स्वामी असीमानंद और चार अन्य के खिलाफ 2007 में समझौता एक्सप्रेस में बम विस्फोट करने के आरोप लगाए थे. इस विस्फोट में 68 लोग मारे गए थे, जबकि 12 घायल हुए थे.
अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश न्यायमूर्ति कंचन माही की अदालत के सामने दायर आरोपपत्र में एनआईए ने स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी (अब दिवंगत) लोकेश शर्मा, संदीप दांगे और रामचंद्र कालसांगरा पर विस्फोट की आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया था.