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एन. डी. तिवारी ने कहा, मेरा जबरन डीएनए परीक्षण नहीं किया जा सकता

जैविक संतान होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति के पितृत्व मामले में फंसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एन डी तिवारी ने दिल्ली उच्च न्यायालय के सामने ‘व्यक्तिगत हलफनामा’ दायर किया.

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जैविक संतान होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति के पितृत्व मामले में फंसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एन डी तिवारी ने दिल्ली उच्च न्यायालय के सामने ‘व्यक्तिगत हलफनामा’ दायर किया.

तिवारी ने इस हलफनामे में कहा कि किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विपरीत डीएनए परीक्षण के लिए खून का नमूना देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने अपने हलफनामे में कहा, ‘अपनी इस उम्र और इस देश को करीब 70 साल की बेदाग सार्वजनिक छवि पर, मैं उच्चतम न्यायालय के फैसलों पर विश्वास करता हूं और डीएनए परीक्षण के लिए किसी मजबूरी के खिलाफ सुरक्षित महसूस करता हूं.’

तिवारी ने उच्चतम न्यायालय के कई पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए डीएनए परीक्षण के लिए खून के नमूने नहीं देने के अपने कदम को सही ठहराया.

न्यायमूर्ति गीता मित्तल रोहित शेखर की याचिका पर फिर सुनवाई कर सकती हैं. रोहित ने तिवारी द्वारा अदालत के खून के नमूने देने के आदेश का पालन नहीं करने पर इस कांग्रेसी नेता के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की मांग की.

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उच्च न्यायालय ने 11 जुलाई को तिवारी से एक ‘व्यक्तिगत हलफनामा’ दाखिल करके डीएनए परीक्षण कराने से इंकार करने पर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा था.

न्यायमूर्ति गीता मित्तल ने 31 वर्षीय शेखर की उस याचिका पर भी तिवारी को नोटिस दिया था जिसमें तिवारी के खिलाफ पिछले साल 23 दिसंबर को उन पर लगाए ए 75 हजार रुपये के जुर्माने को नहीं भरने पर ‘अवमानना’ की कार्रवाई करने की मांग की थी.

तिवारी ने याचिका दी कि वह स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने पिछले 70 साल से देश की सेवा की है और इसलिए उन्हें खून के नमूने देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.

अदालत ने इस दलील पर कहा था कि आप (तिवारी) स्वंतत्रता सेनानी थे, यह तथ्य आपको अदालत के आदेश को इस तरह से नजरअंदाज करने का लाइसेंस नहीं देता.

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