केन्द्र सरकार की संयुक्त समिति द्वारा प्रस्तावित लोकपाल विधयक के मसौदे को कमजोर बताते हुए नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह लोकपाल नहीं बल्कि ‘जोकपाल’ है.
देश में सख्त लोकपाल विधेयक लाये जाने के लिये विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ बैठक के बाद केजरीवाल ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा, ‘संयुक्त समिति द्वारा प्रस्तावित लोकपाल विधेयक अत्यंत कमजोर, लूला और लंगड़ा है तथा हम उक्त विधयेक को मंजूर नहीं करेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘यदि सरकार मजबूत और सख्त लोकपाल विधेयक लेकर नहीं आती है तो अन्ना हजारे 16 अगस्त से नई दिल्ली में आमरण अनशन पर बैठेंगे और यदि सरकार बाबा रामदेव के समान हमारे आंदोलन को कुचलती है तो भी हम सरकार की लाठियां और गोलियां खाने से नहीं डरेंगे.’
केजरीवाल ने कहा कि सरकार दिल्ली में तो धारा 144 लगाकर आंदोलन कुचल सकती है, लेकिन यदि देश की जनता एक हफ्ते की छुट्टी लेकर अपने अपने घरों के सामने राष्ट्रीय ध्वज लेकर नारे लगाये तो सरकार पूरे देश में निषेधाज्ञा नहीं लगा सकती और ‘120 करोड़ अन्ना हजारे’ को गिरफ्तार नहीं कर सकती.
केजरीवाल ने दावा किया कि यदि देश में सख्त लोकपाल विधेयक बन जाये तो देश के आधे से अधिक नेता जेल में होंगे. उन्होंने कहा कि सरकार में बैठे लोग इस प्रकार की भ्रांतियां फैला रहे हैं कि यदि सख्त लोकपाल विधेयक बन गया तो यह एक प्रकार की समानांतर सरकार हो जायेगी, जबकि ऐसा कहना बिल्कुल भी सही नहीं है. उन्होंने कहा कि उनकी मांग संविधान के खिलाफ नहीं बल्कि उसकी चारदीवारी के भीतर ही है.
एक प्रश्न के उत्तर में केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में होने वाले आंदोलन के मंच को राजनीतिक पार्टियों के लिये इस्तेमाल नहीं होने देंगे, क्योंकि राजनीतिक दल के नेता लोकपाल विधेयक पर बात रखने के बजाय अपने विरोधी दलों पर निशाना साधना शुरू कर देते हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के नेता आंदोलन को समर्थन देने के लिये आंदोलन स्थल पर आ सकते हैं लेकिन उन्हें मंच पर नहीं बुलाया जायेगा.