आर्थिक सुधारों को बढ़ाने में शिथिलता के आरोप झेल रही सरकार ने एक अहम कदम उठाते हुये बहुब्रांड खुदरा कारोबार में 51 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दे दी. सरकार के इस फैसले से देश के 53 बड़े शहरों में वॉलमार्ट, केरफोर और टेस्को जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने खुदरा स्टोर ऋंखला खोलने का मार्ग प्रशस्त होगा.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया. देश के 590 अरब डॉलर (29.50 लाख करोड़ रुपये) के खुदरा कारोबार के लिये सरकार का यह निर्णय पूरी तस्वीर बदलने वाला होगा.
मंत्रिमंडल ने इसके साथ ही एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में 51 प्रतिशत एफडीआई की मौजूदा सीमा को भी समाप्त कर दिया. इसमें विदेशी कंपनियां अब शत प्रतिशत निवेश कर सकेंगी. इसमें खाद्य वस्तुओं, नई जीवन शैली और खेलकूद सामान के व्यवसाय में कंपनियां उतरी हैं. सरकार के ताजा निर्णय के बाद अब एडीडास, गुकी, हर्मेस, एलवीएमएच और कोस्टा कॉफी जैसी कंपनियां पूर्ण स्वामित्व के साथ कारोबार कर सकेंगी.
देश में बहुब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई की अनुमति के विरोध को देखते हुये बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इस क्षेत्र में प्रवेश पर कड़ी शर्तें रखी गई हैं. मनमोहन सरकार की प्रमुख घटक दल तृणमूल कांग्रेस को भी इस क्षेत्र में एफडीआई को लेकर कुछ आशंकायें हैं. देश के किराना व्यापारियों और किसानों के हितों को लेकर उनकी चिंतायें हैं. सूत्रों के अनुसार बहुब्रांड खुदरा कारोबार में आने वाली कंपनियों को न्यूनतम 10 करोड डालर (500 करोड़ रुपये) का निवेश करना होगा. इसमें से करीब आधा निवेश शीतगृहों, प्रसंस्करण और पैकेजिंग तथा अन्य आधारभूत सुविधाओं में करना होगा. ऐसी कंपनियों को कम से कम 30 प्रतिशत विनिर्मित और प्रसंस्कृत उत्पाद छोटी इकाइयों से खरीदने होंगे.
दहाई अंक के आसपास चल रही महंगाई से जूझ रही सरकार का दावा है कि खुदरा कारोबार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने से मुद्रास्फीति को थामने में मदद मिलेगी. सरकार पिछले करीब डेढ साल से इस मुद्दे पर आमसहमति बनाने का प्रयास कर रही है. सरकार ने कहा है कि ऐसे स्टोर दस लाख की आबादी वाले देश के 53 शहरों में दस किलोमीटर के दायरे में खोले जा सकेंगे.
बहुब्रांड खुदरा कारोबार के इन स्टोरों में कृषि उत्पाद जैसे फल एवं सब्जियां, अनाज, दाले, पॉल्ट्री उत्पाद, मछली और मीट को बिना ब्रांड के बेचा जा सकेगा. इसके साथ ही सरकार और उसकी एजेंसियों को इन स्टोरों से खरीदारी का पहला अधिकार होगा.
देश का 95 प्रतिशत खुदरा कारोबार छोटे छोटे किराना स्टोरों के जरिये चलता है. संगठित खुदरा कारोबार में उतरी फ्यूचर ग्रुप, रिलायंस और टाटा अभी इस क्षेत्र के छोटे से हिस्से पर ही काबिज हो पाई हैं.