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झारखंड राज्यसभा चुनाव मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग करेगा आयोग

झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश से उत्साहित चुनाव आयोग ने कहा है कि वह सरकार को पत्र लिखकर पिछले सप्ताह झारखंड में राज्यसभा चुनाव में धनबल के इस्तेमाल के आरोप की सीबीआई से जांच कराने की मांग करेगा.

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एसवाई कुरैशी
एसवाई कुरैशी

झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश से उत्साहित चुनाव आयोग ने कहा है कि वह सरकार को पत्र लिखकर पिछले सप्ताह झारखंड में राज्यसभा चुनाव में धनबल के इस्तेमाल के आरोप की सीबीआई से जांच कराने की मांग करेगा.

राज्यसभा चुनाव को रद्द किए जाने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप कुमार बालमुचु की याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया. इसके साथ ही राज्य में नए सिरे से चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया.

मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त एसवाई कुरैशी ने कहा, ‘यह भ्रष्टाचार के खिलाफ सफलता है. हम उच्च न्यायालय के फैसले से ज्यादा मजबूत महसूस कर रहे हैं. हम इस मामले में अब सीबीआई जांच की मांग करेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘हम खुश हैं कि उच्च न्यायालय ने हमारे रुख का समर्थन किया और यह गलत चीजों को हतोत्साहित करने वाला कदम है. अब हमें उच्च न्यायालय से मंजूरी भी मिली है. हम गृह मंत्रालय से सीबीआई जांच कराने के लिए आग्रह करेंगे.’

अदालत ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप कुमार बालमुचु की राज्यसभा चुनाव रद्द करने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली रिट याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया. मगर साथ ही न्यायालय ने चुनावों में खरीद-फरोख्त की शिकायत की जांच विशेषज्ञ एजेंसी से कराने के निर्देश दिये.

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झारखंड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश प्रकाश चंद्र टांटिया और न्यायमूर्ति अपरेष कुमार सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश दिये.

पीठ ने बालमुचु की मंगलवार को दायर उस रिट याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें चुनाव आयोग के फैसले को रद्द करने की मांग की गयी थी.

इससे पूर्व झारखंड में पिछले सप्ताह राज्यसभा चुनावों को रद्द किये जाने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार बालमुचु ने मंगलवार को झारखंड उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर कर आयोग के फैसले को खारिज किये जाने की मांग की थी.

झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका दायर कर प्रदीप कुमार बालमुचु ने तीस मार्च को राज्य में दो राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनावों को रद्द किये जाने के केन्द्रीय चुनाव आयोग के फैसले को असंवैधानिक बताया था और उस पर रोक लगाने का न्यायालय से अनुरोध किया था.

याचिका को जनहित याचिका के रुप में स्वीकार करने का अनुरोध करते हुए बालमुचु ने तर्क दिया था कि राज्यसभा चुनावों को रद्द किये जाने के लिए चुनाव आयोग के पास कम से कम कोई शिकायत तो आनी चाहिए थी.

बालमुचु ने कहा कि देश में होने वाले आम चुनावों से लेकर तमाम चुनावों में नकदी, हथियार और गोलाबारुद पकड़े जाते हैं और ऐसा अनेक बार हुआ है, लेकिन इस आधार पर चुनाव कभी रद्द नहीं किये गये हैं. अधिक से अधिक सभी मामलों में पुनर्मतदान कराये जाते हैं. बालमुचु ने तर्क किया था कि आखिर चुनाव आयोग ने इस बार के राज्यसभा चुनावों को रद्द करने में इतनी रुचि क्यों दिखायी. याचिका में यह भी कहा गया था कि चुनाव प्रक्रिया को रद्द करना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.

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इस संबंध में बालमुचु ने कहा कि वह न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन उच्चतम न्यायालय जाने का रास्ता उनके लिए खुला हुआ है, जिस पर वह विचार कर रहे हैं.

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