पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार पर चिंता प्रकट करते हुए कहा है कि किसी को भी भ्रष्टाचार पसंद नहीं है और ऐसे में यह जरूरी है कि उसके खिलाफ हर घर से आंदोलन शुरू हो.
कलाम ने राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर एक विद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए हृदय की पवित्रता आवश्यक है. उन्होंने कहा कि बचपन से हृदय की पवित्रता के विकास पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए और बच्चों को यह पवित्रता मां-बाप, आध्यात्मिक माहौल और प्राथमिक शिक्षक से मिल सकती है.
उन्होंने कहा कि सीखने और अध्ययन की मुख्य उम्र पांच से सत्तरह साल की होती है. उन्होंने इस संदर्भ में यूनानी कहावत ‘आप हमें सात साल के लिए अपना बच्चा दीजिए, उसके बाद उसे चाहे देव या दैत्य ले जाए, वे बच्चे को बिल्कुल नहीं बदल सकते’ का हवाला दिया.
कलाम ने कहा कि जब बच्चा बहुत छोटा होता है तो उसके चेहरे पर नैसर्गिक मुस्कान होती है लेकिन वह जैसे जैसे प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षण की ओर बढ़ता जाता है उसके चेहरे पर चिंता (रोजगार की) की लकीरें दिखने लगती है. ऐसे में शिक्षक का दायित्व है कि वे उनकी मुस्कान सुरक्षित रखें और उन्हें आत्मविश्वासी बनाएं कि ‘वह इसे कर सकता है’ और उसमें रोजगार मांगने के बजाय रोजगार प्रदान करने के लिए आत्मसम्मान और क्षमता हो.
प्रतिभा पलायन के सवाल पर पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी कोई बात है ही नहीं. उन्होंने कहा कि अब जब दुनिया सिमटती जा रही है तो ऐसे में इसको लेकर चिंता करने की कोई बात नहीं है.