अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पाकिस्तान से कहा कि उसे भारत को अपना घोर शत्रु नहीं मानना चाहिए, अपनी अफगान-भारत को लेकर अपने शत्रु भाव को छोड़ देना चाहिए तथा यह अहसास करना चाहिए कि भारत के प्रति शांतिपूर्ण पहल सबके हित में होगी.
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उन्होंने कहा, ‘हम जो चाहते हैं उसके तहत एक बात यह है कि पाकिस्तान यह एहसास करे कि भारत के प्रति शांतिपूर्ण पहल ही सबके हित में होगी और वाकई पाकिस्तान को भी इससे विकास में मदद मिलेगी.’ ओबामा का यह जवाब तब आया जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अपने पूर्व शीर्ष सैन्य कमांडर माइक मुलेन के इस आरोप से इत्तेफाक रखते हैं कि पाकिस्तान की आईएसआई ने हक्कानी नेटवर्क को अपने प्रामाणिक अंग के रूप में उपयोग किया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तान जिन बड़ी समस्याओं से जूझ रहा है उनमें एक गरीबी, निरक्षरता, विकास का अभाव और ऐसे नागरिक संस्थानों की कमी है जो स्थानीय जनता की उम्मीदों पर खरा उतरे.
उन्होंने कहा, ‘और उस माहौल में आप कट्टरपंथ को आगे बढ़ते हुए देख रहे हैं. आपने देखा है कि आतंकवाद फल फूल रहा है और वह न केवल अफगानिस्तान में हमारे प्रयासों पर बल्कि पाकिस्तानी सरकार और वहां की जनता के लिए भी खतरा बना हुआ है.’
ओबामा ने कहा, ‘अतएव, हम जिस विषय पर काम कर रहे हैं वह पुरानी व्यवस्था की बहाली है और यह आसान कार्य नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘हम लगातार पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों का हमेशा इस आधार पर मूल्यांकन करेंगे कि यह अमेरिकियों और हमारे हितों की सुरक्षा में मददगार हो. पाकिस्तानी जनता को उनके अपने समाज एवं अपनी सरकार को मजबूत करने में मदद करने की हमारी गहरी इच्छा है.’
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के गलत फैसले के चलते बाढ़ प्रभावितों की सहायता को रोकने पर हिचकिचाएंगे ‘लेकिन, इस बात में कोई शक नहीं कि अगर हम यह नहीं सोचें कि वे हमारे हितों के बारे में भी विचार कर रहे हैं, तो हम पाकिस्तान के साथ दीर्घावधि के रणनीतिक संबंध में आरामदेह महसूस नहीं करेंगे.’